Breaking News: भारत सरकार ने एक कड़ा फैसला लेते हुए 6 कनाडाई राजनयिकों को देश से निष्कासित करने का आदेश दिया है. इस निर्णय के तहत कनाडाई राजनयिकों को शनिवार (19 अक्टूबर) की रात 11:59 बजे तक भारत छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं. विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि यह कदम देशहित और राजनयिक संबंधों के मद्देनजर लिया गया है.
निष्कासित किए गए कनाडाई राजनयिकों की लिस्ट इस प्रकार है…
- स्टीवर्ट रॉस व्हीलर- कार्यवाहक उच्चायुक्त (Acting High Commissioner)
- पैट्रिक हेबर्ट- उप उच्चायुक्त (Deputy High Commissioner)
- मैरी कैथरीन जोली- प्रथम सचिव (First Secretary)
- इयान रॉस डेविड ट्राइट्स- प्रथम सचिव (First Secretary)
- एडम जेम्स चुइपका- प्रथम सचिव (First Secretary)
- पौला ओरजुएला- प्रथम सचिव (First Secretary)
हाल ही के दिनों में भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक संबंधों में तनाव बढ़ा है. इस तनाव की मुख्य वजह कनाडा में कुछ गतिविधियों और बयानों को लेकर भारत की आपत्ति रही है. यही कारण है कि भारत ने सोमवार (14 अक्टूबर) को कनाडा से अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य राजनयिकों को वापस बुलाने का अहम फैसला किया. इस घटनाक्रम के पीछे कनाडा द्वारा भारतीय राजनयिकों पर लगाए गए आरोपों को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है.
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में राजनयिकों पर आरोप
कनाडा ने जून 2023 में खालिस्तान समर्थक एक्टिविस्ट हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य राजनयिकों को संदिग्ध बताया था. कनाडा के इस आरोप को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है.
वहीं, भारत ने कनाडा के इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताते हुए विरोध जताया और इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने दिल्ली स्थित कनाडाई मिशन के सीनियर डिप्लोमैट को समन भी किया, जिसमें विदेश मंत्रालय का कहना है कि कनाडा में भारतीय उच्चायोग और वहां कार्यरत राजनयिकों को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है.
ट्रूडो सरकार पर भारत का अविश्वास
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ट्रूडो सरकार के रवैए के कारण भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा खतरे में है. भारत को वर्तमान कनाडाई सरकार पर कोई भरोसा नहीं है. इसी वजह से भारत ने अपने उच्चायुक्त समेत अन्य राजनयिकों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है. भारत ने कनाडा को स्पष्ट कर दिया है कि वह अलगाववाद और अतिवाद के समर्थन के खिलाफ जवाब देने का पूरा अधिकार रखता है.
कनाडा की प्रतिक्रिया का इंतजार
कनाडा की ओर से इस निष्कासन पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है. हालांकि, इस तरह के फैसलों के बाद आमतौर पर दोनों देशों के बीच राजनयिक प्रतिक्रिया देखने को मिलती है. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कनाडा इस पर कैसे प्रतिक्रिया देता है और भविष्य में दोनों देशों के संबंधों की दिशा क्या होगी
जानें क्या हो सकता है आगे?
जानकारों का कहना है कि, भारत और कनाडा के बीच बढ़ता यह तनाव दोनों देशों के व्यापार, शिक्षा, और आप्रवासन संबंधों पर असर डाल सकता है. कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र और व्यवसायिक समुदाय हैं, और दोनों देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध भी रहे हैं. ऐसे में यह देखना जरूरी होगा कि यह राजनयिक विवाद कितनी दूर तक जाता है और इसे सुलझाने के लिए क्या प्रयास किए जाते हैं?