नई दिल्ली: थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने 26 फरवरी, 2024 को पुणे में मोशी के अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी कन्वेंशन सेंटर में महाराष्ट्र एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) रक्षा प्रदर्शनी 2024 का दौरा किया। इस प्रदर्शनी में महाराष्ट्र के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, निजी कंपनियों, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रयोगशालाओं और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र इकाई (डीपीएसयू) की स्वदेशी क्षमताओं तथा नवाचारों को प्रदर्शित किया जा रहा है।
रक्षा विनिर्माण नीति तैयार करने वाला भारत का पहला राज्य?
सेना प्रमुख ने इस अवसर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने महाराष्ट्र को देश की अर्थव्यवस्था, औद्योगिक विकास, निर्यात और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आकर्षण में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता मानते हुए बधाई दी। उन्होंने महाराष्ट्र को रक्षा विनिर्माण नीति तैयार करने वाला भारत का पहला राज्य कहा और ‘प्रोत्साहन की पैकेज योजना’ में विमान निर्माण तकनीक और रक्षा विनिर्माण को महत्वपूर्ण क्षेत्र घोषित किया।
उनके अनुसार, महाराष्ट्र ने रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए प्रयासों के परिणामस्वरूप देश के विमानों, युद्धपोतों और नौकाओं के उत्पादन में 20 प्रतिशत से ज्यादा तथा हथियारों एवं गोला-बारूद के राष्ट्रीय उत्पादन में 30 प्रतिशत से अधिक का योगदान दे रहा है।
MSME भारतीय सेना के उत्तकृष्ट कदम!
थल सेनाध्यक्ष ने आर्थिक विकास, उपभोक्ता समृद्धि, औद्योगिक विकास, नागरिकों की आकांक्षाएं और सरकारी कदमों की सराहना करते हुए देश में सुधार की चर्चा की। उन्होंने सेना के सतत विकास और आपूर्ति श्रृंखला में विश्वसनीयता का आश्वासन दिया और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों और स्टार्टअप्स को भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण फोकस बताया।
रक्षा परियोजनाओं को स्टार्टअप्स का मिल रहा सहारा
थल सेनाध्यक्ष ने रक्षा उत्कृष्टता में नवाचार के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए सभी परियोजनाओं को स्टार्टअप्स के माध्यम से बढ़ाना जरूरी बताया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में आईडेक्स पहल के तहत भारतीय सेना की 55 परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें से 65 स्टार्टअप्स शामिल हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में उपयोग के लिए सीमित मात्रा में उपकरणों की खरीद के उद्देश्य से 70 करोड़ रुपये के चार अनुबंध हो चुके हैं।
सेना प्रमुख ने इस मौके पर भारतीय सेना के घरेलू नवाचार और पहलों के बारे में भी चर्चा की और वहां उपस्थित लोगों को इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित जनरेटर सुरक्षा प्रणाली और जैव चिकित्सा उपकरण जैसे नए नवाचारों की जानकारी दी।
थल सेनाध्यक्ष ने भारतीय सेना के घरेलू नवाचार एवं सेना के सहयोग से विकसित उत्पादों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार हासिल करने की महत्वपूर्णता पर भी बातचीत की। उन्होंने बताया कि अब तक 66 आईपीआर दाखिल किए गए हैं, जिनमें से 13 पेटेंट, 05 कॉपीराइट और 05 डिजाइन पंजीकरण प्रदान किए गए हैं।
प्रदर्शनी में स्वेदेशी उपकरणों व हथियारों का प्रदर्शन
प्रदर्शनी के दौरान भारतीय सेना ने अपने स्वदेशी उपकरणों और प्रणालियों को प्रदर्शित किया, जैसे कि टैंक टी-90, बीएमपी एमके-II, सोल्टम गन, धनुष होवित्जर, के-9 वज्र, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, सर्वत्र सेतु प्रणाली, आर्मी एयर डिफेंस के शिल्का गन व फ्लाई कैचर रडार, टेवर, सिग सॉयर और एम4 असॉल्ट राइफल्स, एके-47, स्नाइपर राइफलें और विभिन्न अन्य हथियारों तथा साजो-सामान को।
सेना प्रमुख ने प्रदर्शनी में भाग लेने वाले उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की और उन्हें अपने उत्पादों एवं सेवाओं को भारतीय सेना की भविष्य की आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सभी से आत्मनिर्भरता के संकल्प व प्रतिबद्धता के माध्यम से उभरते भारत की आकांक्षाओं, लक्ष्यों और उद्देश्यों में सामूहिक रूप से योगदान देने का आग्रह किया।