आंध्र प्रदेश सरकार ने 30 अक्टूबर को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के लिए 24 सदस्यों के साथ एक नया बोर्ड गठित किया. इस बोर्ड का अध्यक्ष बीआर नायडू को नियुक्त किया गया है. बता दें कि यह बोर्ड दुनिया के सबसे अमीर मंदिर के प्रशासन को संभालेगा. टीटीडी बोर्ड के अध्यक्ष बीआर नायडू ने अपनी नियुक्ति के बाद कहा था कि मंदिर परिसर में काम करने वाले सभी लोग हिंदू होने चाहिए. बता दें कि नायडू के बयान ने धार्मिक भेदभाव के आरोपों को जन्म दिया है, जिसके बाद अब राजनीति गर्मा चुकी है.
बीआर नायडू का विवादास्पद बयान
बीआर नायडू ने एक बयान में कहा कि “तिरुमाला में काम करने वाला हर व्यक्ति हिंदू होना चाहिए.” उन्होंने कहा कि यह उनका पहला प्रयास होगा और इस पर कई मुद्दों पर गौर करने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वह अन्य धर्मों से जुड़े कर्मचारियों के भविष्य पर आंध्र प्रदेश सरकार के साथ चर्चा करेंगे, जिसमें उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) देने या अन्य विभागों में स्थानांतरित करने की संभावना पर विचार करने की बात कही.
असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीआर नायडू के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “टीटीडी के अध्यक्ष का कहना है कि तिरुमाला में केवल हिंदुओं को ही काम करना चाहिए. लेकिन मोदी सरकार वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों का होना अनिवार्य करना चाहती है.”
ओवैसी ने यह भी कहा कि “अधिकांश हिंदू बंदोबस्ती कानून इस बात पर जोर देते हैं कि केवल हिंदू ही इसके सदस्य होने चाहिए. जो नियम एक के लिए सही है, वही दूसरे के लिए भी सही होना चाहिए ना?”