Assam Muslim Marriage Registration Law: हेमंत बिस्वा शर्मा के इस फैसले के बाद क्या-क्या बदल जाएगा, जाने सब कुछ

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Assam Muslim Marriage Registration Law: असम में मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने का फैसला सरकारी पहल है जो विवाह और तलाक पंजीकरण को समान नागरिक संहिता के तहत लेकर आने का एक कदम है। इसके बाद, मुस्लिम समुदाय को विवाह और तलाक के मामले में नए नियमों के अनुसार काम करना होगा।

असम के मुख्यमंत्री ने फैसले की जानकारी देते हुए एक्स (X) पर लिखा, असम के मुस्लिम समुदाय की बेटियों की रक्षा के लिए हमारे मंत्रिमंडल ने एक निर्णायक फ़ैसला लिया है। 89 वर्ष पुराने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त किया जाएगा। इस अधिनियम में बालविवाह पंजीकरण की अनुमति देने वाले जैसे प्रावधान शामिल थे।” उम्मीद है, इससे कुछ मुख्य बदलाव जरूर हो सकते हैं।

बाल विवाह पर नियंत्रण

नये निर्णय से असम में बाल विवाहों को रोकने में सरकार को मदद मिल सकती है। अब लोग अपनी बच्चों को बाल विवाह से बचाने के लिए इस अधिनियम का इस्तेमाल कर सकते हैं।

विवाह और तलाक का पंजीकरण

अब मुस्लिम विवाह और तलाक का पंजीकरण इस अधिनियम के तहत नहीं होगा। इससे सरकार को यह सुनिश्चित करने में मुश्किल हो सकती है कि कौन-कौन से विवाह और तलाक हो रहे हैं और कैसे।

सामाजिक विवादों का कम होना

नए निर्णय से सामाजिक विवादों को कम करने में सहायक हो सकता है। सभी विवाहों को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत पंजीकृत करने से अधिकारी सामाजिक उम्मीदवारों के बीच विवादों को नियंत्रित कर सकते हैं।

सरकारी कर्मचारियों को सूचना देना

सरकारी कर्मचारियों को तलाक या दूसरी शादी की सूचना देना अनिवार्य होने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि उनके कार्यालय में इस पर कानूनी प्रक्रिया का पालन हो रहा है।

समान नागरिक संहिता की दिशा में

यह निर्णय उत्तराखंड और गुजरात की तरह असम को भी समान नागरिक संहिता (UCC) की दिशा में बढ़ा सकता है, जिससे सभी धर्मों के लोगों को एक समान न्याय मिल सकता है। इस निर्णय से सामाजिक और कानूनी परिस्थितियों में बदलाव हो सकता है, लेकिन इसका सबसे बड़ा प्रभाव बाल विवाहों को रोकने और समाजिक विवादों को कम करने में सही साबित होगा।