नई दिल्ली: इंस्टेंट फूड डिलीवरी ऐप Zomato-Swiggy की मुश्किलें अभी भी खत्म नहीं हुई हैं। क्योंकि हाल ही में Zomato और Swiggy को 500 करोड़ रुपये से अधिक का जीएसटी नोटिस मिला था। जीएसटी का कहना है कि Zomato-Swiggy डिलीवरी शुल्क के नाम पर ग्राहकों से कुछ पैसे वसूलती है। अब इस पैसे को लेकर टैक्स अधिकारी और फूड डिलीवरी ऐप के बीच अक्सर झगड़े होते रहते हैं। ऐसा होने पर डिलीवरी शुल्क लगभग 1000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी तक पहुंच चुका है।
इस मामले में फूड एग्रीगेटर्स जोमैटो और स्विगी का कहना है कि ‘डिलीवरी चार्ज’ कुछ और नहीं बल्कि डिलीवरी एन्जिल्स (डिलीवरी बॉय) की लागत है, जो घर-घर जाकर खाना पहुंचाते हैं। कंपनियां ग्राहकों से वह कीमत वसूलती हैं और इसे डिलीवरी पार्टनर्स को दे देती हैं। लेकिन विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक टैक्स अधिकारी इस बात से सहमत नहीं हैं। इस मामले में दोनों का करीब 1000 करोड़ रुपये का हिस्सा है।
जोमैटो, स्विगी को जीएसटी अधिकारियों से प्रति कंपनी 10 रुपये मिलते हैं। लेकिन इस मामले में टैक्स अधिकारियों का मानना है कि स्विगी और जोमैटो यह डिलीवरी शुल्क वसूलकर अपना राजस्व बढ़ा रहे हैं। जब से जोमैटो और स्विगी ने अपने ग्राहकों को भोजन डिलीवरी की पेशकश शुरू की है, तब से उन्हें डिलीवरी शुल्क के रूप में एकत्र की गई राशि पर 18 प्रतिशत कर लगाया गया है, प्रत्येक कंपनी रुपये का भुगतान करती है।
सूत्रों का कहना है कि उन्होंने 500 करोड़ रुपये चुकाने को कहा है। लेकिन इस मामले में अभी तक जोमैटो और स्विगी की ओर से कोई जवाब सामने नहीं आया है।