BJP के राष्ट्रीय अधिवेशन में 370 पार का महामंथन, जानिए पीएम ने कार्यकर्ताओं को क्यों दी मौन रहने की नसीहत?

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नई दिल्ली: दिल्ली के भारत मंडपम में चल रहे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के 11 हजार 500 से अधिक पदाधिकारियों को जुटा कर अपने कार्यकारी योजनाओं और चुनावी रणनीतियों का उच्चारण किया। इस अधिवेशन के माध्यम से पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारी के लिए रोडमैप तैयार किया है।

पीएम मोदी का उद्घाटन संबोधन

प्रधानमंत्री ने कहा कि पार्टी को 370 सीटें और नेता मोहनभागवत ने NDA को 400 सीटों की लक्ष्यबद्धता बढ़ाने का मात्र एक आंकड़ा नहीं मानना चाहिए। उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं से हर बूथ पर 370 वोट जोड़ने का लक्ष्य रखने को कहा और इसे पूरा करने के लिए 100 दिन का जनसंपर्क अभियान चलाने की मांग की।

राजनाथ सिंह का राजनीतिक प्रस्ताव

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अधिवेशन में अपने विचार रखे और मोदी की गारंटी पर राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली का मुद्दा उठाया और विपक्ष से जनसमर्थन हासिल करने की आवश्यकता को बताया।

भाजपा की सफलता का सफर

भाजपा के अधिवेशन में उपस्थित जनसंख्या ने पीएम मोदी के नेतृत्व में पार्टी के 7 वर्षों के सफलता का सफर को स्वीकृति दी। मोदी ने पार्टी को एक सशक्त और समर्थनशील संगठन बनाने के लिए कार्यकर्ताओं से जुटकर काम करने की बात की।

जानिए अंदर की बात…

पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को क्यों दी मौन रहने की नसीहत?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने BJP के राष्ट्रीय अधिवेशन में दो दिनों तक मौन रहने की सलाह दी है। उन्होंने पार्टी नेताओं से मीडिया में बैठक के बारे में कुछ न बोलने की नसीहत दी है और मंडल प्रभारियों को हर महीने कम से कम एक बार बूथ प्रमुख से मिलने का आदान-प्रदान किया है। उन्होंने BJP को हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का लक्ष्य दिया है, जिससे पूरे देश में 38 करोड़ वोट जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें उनका उद्देश्य जीत का रिकॉर्ड बनाने का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में नेताओं को दो दिनों तक मौन धारण करने की सलाह दी है, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं….

  1. संगठन की एकता बढ़ाना: मौन धारण के दौरान नेता और कार्यकर्ताओं को सोचने और अपने आत्म-निर्धारित लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिलता है, जिससे संगठन की एकता मजबूत हो सकती है।
  2. मीडिया में अव्यवस्थित बयान से बचाव: मौन रहने से नेता और कार्यकर्ताओं को मीडिया में अव्यवस्थित बयान देने से बचाया जा सकता है, जिससे विवाद उत्पन्न होने की संभावना कम होती है।
  3. आंतरिक मामलों की व्यवस्था: यह मौन धारण आंतरिक मामलों की समीक्षा और सुलझाव के लिए समय देने का भी एक तरीका हो सकता है, जिससे पार्टी के आंतरिक संरचना में सुधार हो सकता है।
  4. कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण दिशा देना: मौन रहने से कार्यकर्ताओं को स्वयं के क्षमताओं और संगठन के मुख्य लक्ष्यों के प्रति सकारात्मक मानसिकता में सुधार हो सकता है।

इन सभी कारणों से, मौन धारण को एक रणनीतिक और संगठनात्मक पहलू के रूप में देखा जा सकता है जो संगठन को मजबूत करने का लक्ष्य रखता है।

कार्यकारिणी बैठक में पीएम मोदी की मुख्य बातें…

  • PM ने भाजपा को 370 और NDA को 400 सीटों का लक्ष्य रखने की बात की है, इसे मात्र एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक उद्देश्य के रूप में बयान किया है।
  • प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के भारत का अटूट एवं अविभाज्य अंग बनाने के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि कहा है।
  • हर बूथ पर भाजपा के कार्यकर्ताओं से 100 दिनों के भीतर पिछली बार मिले वोटों में कम से कम 370 वोट बढ़ाने का आदान-प्रदान किया गया है।
  • प्रधानमंत्री ने फर्स्ट टाइम वोटर्स को पूरी ताकत से भाजपा के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया है।
  • महिलाओं को माताओं, बहनों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्थन देने का आदान-प्रदान किया गया है।
  • प्रधानमंत्री ने विपक्ष को तू तू मैं मैं की राजनीति करने और आरोपों के कीचड़ उछालने का आरोप लगाते हुए, गरीब कल्याण और विकास की उपलब्धियों के आधार पर जनता का समर्थन हासिल करने की महत्वपूर्णता पर बात की है।