नई दिल्ली/डेस्क: बिहार जातीय सर्वे मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सर्वे के आंकड़ों को जारी करने पर कोई रोक नहीं लगाई थी और कहा था कि विस्तृत सुनवाई के बाद ही रोक का आदेश दिया जाएगा। हालांकि, इस बीच बिहार सरकार ने सर्वे के आंकड़ों को जारी कर दिया है, जिससे काफी विवाद हुआ है।
बिहार सरकार के मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने बताया कि पिछड़े वर्ग की आबादी 27.13% है, जबकि अति पिछड़े वर्ग की संख्या 36.01% है। साथ ही, राज्य की कुल आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 63% है। बिहार में हिंदू धर्म के लोग बहुसंख्यक हैं, जिनकी आबादी 81.99% है, जबकि मुस्लिमों की आबादी 17.70% है।
अनुसूचित जाति की संख्या राज्य में कुल आबादी का 19.65% है और करीब 22 लाख (1.68%) लोग अनुसूचिति जनजाति से संबंधित हैं। इस जातीय सर्वे के जरिए यह भी पता चला कि बिहार में हिंदू धर्म के अनुयायी बहुसंख्यक हैं, जबकि अन्य धर्मों के अनुयायी भी हैं। इससे जातिगत सर्वे की आवश्यकता की मांग और भी बढ़ गई है।
पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कोई आदेश नहीं दिया था, लेकिन इस बार इस पर सुनवाई होगी। जातीय सर्वे का विवाद बिहार के सियासी स्कीमों में भी रंग डाल चूका है, जो आगामी लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण हो सकता हैं।
अब देश में ओबीसी की सियासत भी बढ़ गई है, और विपक्ष की ओर से जातीय सर्वे कराने की मांग उठ रही है।
लेखक: करन शर्मा