Central Protection Act: सूत्रों से खबर सामने आई है कि डॉक्टर और मंत्रालय की बातचीत डेड एन्ड पर पहुंच गई है। डॉक्टर्स CPA यानी सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट कानून की मांग कर रहे हैं। जिसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय राजी नहीं है। मंत्रालय का कहना है कि इस कानून से इन मामले में कोई मामला नहीं बनता, सीपीए कानून में दुष्कर्म और मर्डर को कवर नहीं करता।
अस्पताल में 25% सिक्योरिटी गार्ड को बढ़ाने का फैसला
केंद्र सरकार ने अस्पताल में 25% सिक्योरिटी गार्ड को बढ़ाने का फैसला किया है। केंद्र सरकार के अस्पतालों में मार्शल की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। साथ ही मंत्रालय का कहना है की 26 राज्यों में मारपीट को लेकर सख्त क़ानून है। बंगाल में बने क़ानून में भी दुष्कर्म और मर्डर को कवर नहीं करता। ऐसे मामले BNS से कवर करते हैं। केंद्र सरकार के अस्पतालों में अब 6 घंटो में FIR होगी और अब अस्पताल FIR करेगी।
DGHS की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार के सभी मेडिकल हॉस्पिटल में 25% सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया गया है। DGHS की अध्यक्षता में जो कमेटी बनाई जाएगी, वो इनकी समस्याओं पर सुझाव लेंगे। साथ ही डॉक्टरों की बेसिक समस्याएं जैसे रेस्ट रुम, CCTV सुविधाएं इन सब को ठीक किया जाएगा।
पश्चिम बंगाल की घटना का सीपीए से कोई संबंध नहीं
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की इस मांग पर कि वे केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू करना चाहते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि जहां तक पश्चिम बंगाल में बलात्कार और हत्या की घटना का सवाल है, यह वैसे भी इस अधिनियम के तहत कवर नहीं किया जाएगा। यह भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत आता है। पश्चिम बंगाल की घटना का सीपीए से कोई संबंध नहीं है।
डॉक्टरों से विरोध बंद करने का अनुरोध
मंत्रालय ने डॉक्टरों को यही समझाया कि यह सिर्फ समय की बर्बादी है। मरीजों को परेशानी हो रही है। डॉक्टरों से विरोध बंद करने का अनुरोध किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग पर स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक सुरक्षा बढ़ाने का फैसला ले सकते हैं। यह उनकी कॉल नहीं है।
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