Petrol Diesel Under GST: पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने की केंद्र की मंशा, निर्णय राज्यों पर निर्भर

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Petrol Diesel Under GST: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 53वीं जीएसटी (GST) परिषद की बैठक में कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है, लेकिन इसका अंतिम निर्णय राज्यों को करना होगा। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सीतारमण ने बैठक के बाद मीडिया ब्रीफिंग में स्पष्ट किया, “यह राज्यों पर निर्भर है कि वे मिलकर फैसला करें और पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाएं। केंद्र सरकार की मंशा स्पष्ट है, हम चाहते हैं कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाए।”

राज्य एक साथ आकर तय करें दर

वित्त मंत्री ने आगे बताया, “पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी कानून में शामिल करने का प्रावधान पहले ही कर दिया था। अब बस राज्यों को एक साथ आकर दर तय करने के लिए चर्चा करनी है।” वर्तमान में पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी लागू नहीं है और इनकी कीमतें प्रत्येक राज्य में अलग-अलग होती हैं।

GST परिषद की बैठक में व्यापारियों और MSME को राहत

जीएसटी परिषद की बैठक पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “आज 53वीं जीएसटी परिषद की बैठक में करदाताओं को राहत देने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। इससे व्यापारियों, एमएसएमई (MSME) और करदाताओं को लाभ होगा। जीएसटी परिषद ने GST अधिनियम की धारा 73 के तहत जारी किए गए डिमांड नोटिसों पर ब्याज और जुर्माना माफ करने की सिफारिश की है, जिसमें धोखाधड़ी या गलत बयानी से जुड़े मामले शामिल नहीं हैं।”

उन्होंने यह भी कहा, “वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए धारा 73 के तहत जारी किए गए सभी नोटिसों के लिए, परिषद ने उन डिमांड नोटिसों पर ब्याज और जुर्माना माफ करने की सिफारिश की है, जो अमल में लाया जा चुका है।”

पांच वस्तुएं GST के दायरे से बाहर

बता दें कि जब एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किया गया था, तो उसमें एक दर्जन से अधिक केंद्रीय और राज्य शुल्कों को शामिल किया गया था। हालांकि, अब यह फैसला किया गया कि पांच वस्तुओं – कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन (ATF) पर जीएसटी कानून के तहत बाद में कर लगाया जाएगा।

वर्तमान परिदृश्य में पेट्रोल और डीजल पर राज्यों द्वारा लगाए गए विभिन्न करों के कारण इनकी कीमतें अलग-अगल होती हैं। अगर ये जीएसटी के दायरे में आते हैं, तो इनके मूल्य निर्धारण में एकरूपता आएगी, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है।