नई दिल्ली: भारत सरकार ने आज ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) को विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA) 1967 की धारा 3(1) के तहत एक ‘विधिविरुद्ध संगठन’ (Unlawful Association) यानी प्रतिबंध बढ़ाने की घोषित कर दी है। इससे पहले, सिमी पर 31 जनवरी 2019 को प्रतिबंध लगाया गया था।
प्रेस ब्यूरो इंफॉर्मेशन से मिली जानकारी के अनुसार, सिमी को आतंकवाद को बढ़ावा देने, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। इस कदम के माध्यम से सरकार ने देश की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरनाक संगठनों के खिलाफ निर्णय का संकेत दिया है। सिमी और उसके सदस्यों के खिलाफ विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA) 1967 के तहत कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
इस निर्णय के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखना है, और संगठनों जो आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लेते हैं, के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करना है।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर दी जानकारी, शाह ने लिखा- “आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का दृष्टिकोण ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी)’ को यूएपीए के तहत पांच साल की अवधि के लिए ‘गैरकानूनी संघ’ घोषित किया गया है।”
पहली बार साल 2001 में लगा था प्रतिबंध
ऐसा पहली बार नहीं है जब देश में सिमी पर प्रतिबंध लगा हो, इससे पहले भी साल 2001 में सिमी पर पहली बार प्रतिबंध लगा था। सिमी पर आरोप लगा था कि उसकी संलिप्तता आतंकवादी संगठनों से संबंध और आतंकी हमलों में पाई गई थी। जिसके बाद केंद्र सरकार की यह कार्रवाई 9/11 आतंकी हमले के बाद की गई थी। बीच में कुछ दिनों के लिए प्रतिबंध हटा था, लेकिन बीच में कुछ दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर से बैन लगा दिया गया।