गणेश उत्सव के दौरान इन मंत्रों का जाप चमक देगा आपका सोया भाग्य!

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Ganesh Utsav: मंगलवार यानी 19 जुलाई से गणेशोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। या यूं कहें कि गणेश भगावान घर से लेकर पूजा पंडालों तक में व्राजमान हो चुके हैं। ऐसा माना जाता है कि इन दस दिनों के लिए भगवान गणेश अपने भक्तों के यहां पर अतिथि के रूप में आते हैं और 11वें दिन वे अपने भक्तों से इस वचन के साथ विदा लेते हैं कि वे अगले बरस जल्दी आएंगे।

गणेशोत्सव के दौरान चारों तरफ भक्तिमय माहोल रहता है। इस दौरान आप गणेश की आराधना करके उनसे आशार्वाद पा सकते हैं, तो वहीं कुछ ऐसे मंत्रों का जाप करके भी आप गणपति बप्पा को प्रसन्न कर सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश धरती पर अपने भक्तों के कष्टों को हरने और उनके जीवन को खुशियों से भरने आते हैं।

अगर आप भी अपने ईष्ट गणेश को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इन मंत्रों का जाप करके अपने जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं। जलिए जानते हैं इन प्रभावशाली मंत्रों के बारे में…

गणेश मंत्र जिनके जाप मात्र से सभी कष्टों का होगा नाश!

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

अर्थात्- जिनकी सूंड घुमावदार है , जिनका शरीर विशाल है और जिनका तेज करोड़ सूर्यों के समान है। ऐसे देव को मेरा नमस्कार। हे देव , कृपया अपना आशीर्वाद देकर मेरे सभी कार्यों को बाधाओं से मुक्ति प्रदान करें करें।

गजाननं भूतगणाधिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्।।

अर्थात्- हाथी के समान मुख वाले, भूत-गण जिनकी सेवा करते हैं। कैंथा और जामुन को चाव से खाने वाले। शोक विनाशक, देवी उमा के पुत्र। समस्त विघ्नों के विनाशकर्ता श्री गणेश जी को नमन।

एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्।

अर्थात्- एक दंत को हम जानते हैं। वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं। वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें।

रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्।।

अर्थात्- हे गणाध्यक्ष..! रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिये। हे तीनों लोकों के रक्षक..! रक्षा कीजिए..! आप भक्तों को भय मुक्त करने वाले हैं। भवसागर से सबकी रक्षा कीजिए।

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्।।

अर्थात्- जो एक दांत से शोभायमान है। विशाल शरीर के स्वामी हैं। लंबे उदर वाले हैं और हाथी के समान मुख वाले हैं तथा जो समस्त विघ्नों का नाश करने वाले हैं। मैं उन दिव्य प्रभु हेरम्ब को नमस्कार करता हूं।

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।।

अर्थात्- समस्त विघ्नों के नाश हेतु, सफेद वस्त्र धारण करने वाले प्रभु श्री गणेश का स्मरण करना चाहिए। जिनका रंग चांद के जैसा है, जो चतुर्भुज और जो सुखी हैं। मैं ऐसे प्रभु को प्रणाम करता हूं।

मूषिकवाहन् मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्बित सूत्र।
वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायक नमो नमोस्तुते।।

अर्थात्- जिनका वाहन चूहा और हाथ में मोदक है। जिनके श्रुति पटल (कान) बड़े पंखों जैसे हैं। जिन्होंने पवित्र सूत पहना हुआ है। उनके श्री चरणों में बारंबार नमस्कार है।