नई दिल्ली। आज( 8 नवंबर) भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति के कार्यकाल का अंतिम दिन था. अपने अंतिम दिन कार्य दिवस पर डीवाई चंद्रचूड़ ने कृतज्ञता और विनम्रता के साथ अपनी न्यायिक यात्रा पर व्यक्तिगत विचार साझा किया. जिसमें अपने कार्यकाल के दौरान के अनुभवों को साझा किया.
उन्होंने कहा कि “कल शाम, जब मेरे रजिस्ट्रार न्यायिक ने मुझे बताया कि फेयरवेल समारोह दोपहर 2 बजे होगा क्योंकि हम बहुत सी चीजें कर सकते हैं. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि मैंने मन ही मन सोचा, क्या शुक्रवार दोपहर 2 बजे इस अदालत में कोई होगा, या मैं स्क्रीन पर खुद को देखूंगा?
मेरे जाने के बाद इस न्यायालय में कोई अंतर नहीं आने वाला : DY Chandrachud
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका की परंपरा के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त करते हुए कहा कि एक युवा वकील के रूप में उन्होंने तर्कों की कला को देखा और अदालती कामकाज की बहुमूल्य तकनीक सीखीं. उन्होंने कहा, हम यहां तीर्थयात्री के रूप में काम करने आए हैं और हम जो काम करते हैं, उससे मामले बन सकते हैं या बिगड़ सकते हैं. ऐसे महान न्यायाधीश हुए हैं जिन्होंने इस न्यायालय को सुशोभित किया है और इस पद को आगे बढ़ाया है.
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उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के अधीन संस्था के भविष्य के प्रति विश्वास जताते हुए कहा, “मेरे जाने के बाद इस न्यायालय में कोई अंतर नहीं आने वाला है, क्योंकि न्यायमूर्ति खन्ना जैसा स्थिर और गरिमामय व्यक्ति इस न्यायालय का कार्यभार संभालेंगे.
मैंने अपने द्वारा निपटाए गए मामलों से जीवन के बारे में सीखा : डीवाई चंद्रचूड़
अपनी यात्रा को लेकर न्यायमूर्ति DY Chandrachud ने कहा, “जब आप मुझसे पूछते हैं कि आपको क्या आगे बढ़ाता है, तो इसका उत्तर यही है कि मुझे क्या आगे बढ़ाता है. यह न्यायाधीश बनने की यात्रा है. मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूं, और आप सभी ने मुझे कानून और जीवन के बारे में बहुत कुछ सिखाया है. आज मैंने अपने द्वारा निपटाए गए 45 मामलों से भी जीवन के बारे में बहुत कुछ सीखा है. उन्होंने कहा, “अगर मैंने कभी आप में से किसी को ठेस पहुँचाई है, तो मुझे माफ़ कर दें.
DY Chandrachud के कानूनी सूझबूझ की सराहना
डीवाई चंद्रचूड़ के अंतिम दिन बार और बेंच के वरिष्ठ सदस्यों ने उनके न्यायिक करियर को भावभीनी श्रद्धांजलि दी. समारोह में उनके उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा ने चंद्रचूड़ की उनकी कानूनी सूझबूझ और न्याय के प्रति उनके मानवीय दृष्टिकोण के लिए सराहना की. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चंद्रचूड़ के संतुलित और निष्पक्ष नेतृत्व का सार बताते हुए कहा, “सरकार के लिए, हमने कुछ जीते और कई हारे, लेकिन हम जानते थे कि हमें अदालत को समझाने और अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला.