ताइवान में चीन ने फिर की घुसबैठ, 103 चीनी विमानों के साथ 24 घंटे में 9 युद्धपोत भी घुसे

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नई दिल्ली/डेस्क: ताइवान की डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया कि चीन के 103 जेट विमानों ने 24 घंटों में उनके इलाके में घुसपैठ की कोशिश की है। इसे सबसे बड़ी घुसपैठ माना जा रहा है। ताइवान इसे चीन की ओर से तनाव बढ़ाने का प्रयास कह रहा है।

चीन लगातार ताइवान के इलाके में घुसपैठ करता रहता है। हालांकि, इस बार चीन के 40 वॉर प्लान्स मीडियन लाइन को पार करके ताइवान में घुसे हैं। इसके दो दिन पहले, 63 विमानों ने ताइवान में घुसपैठ किया था। इसके अलावा, 9 युद्धपोते ने भी ताइवान के एरिया में प्रवेश किया था।

यह घुसपैठ चीन और अमेरिका के बीच चर्चा के दौरान हुई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस मुलाकात में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ताइवान के मुद्दे को भी उठाया।

चीन-अमेरिका ने यूक्रेन और ताइवान पर की चर्चा

चीन-अमेरिका ने यूक्रेन और ताइवान पर चर्चा की, जिसमें जासूसी बैलून के बाद रिश्तों में तनाव बढ़ गया था। जेक सुलिवन और वांग यी के बीच हुई बातचीत को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन इसके विवरण अभी तक नहीं जाने गए हैं।

व्हाइट हाउस ने बताया कि इस चर्चा में यूक्रेन, ताइवान, और वैश्विक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई। चीन ने कहा है कि ताइवान अमेरिका के लिए एक ‘रेड लाइन’ है, जिसे अमेरिका को पार नहीं करना चाहिए।

ताइवान के मुद्दे पर अब तक कोई स्पष्ट नीति नहीं

पिछले हफ्ते ही चीन ने ताइवान पर कब्जा करने के लिए एक ब्लूप्रिंट जारी किया था, जिसमें ताइवान के समीप के क्षेत्र को अपने साथ मिलाने की योजना का विवरण किया गया है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने ताइवान को अपने अधीन करने की योजना बनाई है।

चीनी सेना के सैनिकों ने पिछले महीने ताइवान पर हमले की तयारी के साथ ट्रेनिंग भी की थी। चीन ने अपने 96 वर्ष के पूरे होने पर इस पर एक डॉक्यूमेंट्री जारी की थी।

अमेरिका ने 1979 में चीन के साथ रिश्ते बनाए थे, लेकिन ताइवान के साथ डिप्लोमेटिक रिश्ते तोड़ दिए थे। फिर भी, अमेरिका ने ताइवान को हथियार सप्लाई करता रहा हैं, जिसका चीन विरोध करता रहा है। अमेरिका ने चीन की वन चाइना पॉलिसी का समर्थन किया है, लेकिन ताइवान के मुद्दे पर अब तक कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई है।

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अब हाल में इस पॉलिसी को बदल दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो अमेरिका ताइवान के समर्थन में आएगा। इसके साथ ही, ताइवान के साथ अमेरिकी अधिकारियों का मेलजोल भी बढ़ा दिया गया है।

लेखक: करन शर्मा