नई दिल्ली/डेस्क: बस एक पल के लिए कल्पना करें कि आप, और आपका पड़ोसी, एक ही समय में गरीबी से आर्थिक प्रगति करना शुरू करते हैं। और आप दोनों के घर में परिवार के सदस्यों की संख्या समान है, आप दोनों ऐतिहासिक रूप से सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक से हैं।
लेकिन कुछ ही समय में आपका पड़ोसी गलत काम कर बहुत तेजी से पैसे कमाने लगता है। जिसके लिए वह प्रकृति और जानवरों को बहुत नुकसान पहुंचाता है। लेकिन आप अपने सिद्धांतों पर दृढ़ हैं, आप ऐसे पैसे को सीधे अस्वीकार कर देते हैं।
और कहते हैं कि भले ही मुझे पैसा कमाने में कुछ समय लगे, लेकिन मैं प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। और कुछ समय बाद, आपकी पीढ़ी, आपके पड़ोसी की पीढ़ी से प्रतिस्पर्धा करने लगती है, लेकिन आपका पड़ोसी आर्थिक रूप से आपसे बहुत आगे है।
लेकिन अब जो तीसरी पीढ़ी आती है, वह इस पड़ोसी के लिए मुश्किल खड़ी कर देती है, यह पीढ़ी आपकी और आपके पड़ोसियों की मदद करती है।
अगर आप ऐसा करते हैं, तो आपका पड़ोसी अपने कर्ज के दम पर इन्हीं पड़ोसियों को दबाने लगता है, धीरे-धीरे आपका यह पड़ोसी इस हद तक बेनकाब हो जाता है, कि अब वह खुद भूका मरने लगता है। इस कहानी में, यह दुष्ट पड़ोसी, कोई और नहीं, बल्कि चीन है. और वह अच्छा इंसान मैं, और आप सभी भारतीय हैं।
बिकने की कगार पर खड़ा चीन, नहीं दे रहा कोई भी भीख
आपको शायद यकीन न हो, लेकिन 19 ट्रिलियन की इकोनॉमी वाला चीन आज अपनी करतूतों की वजह से सड़कों पर आ गया है।
आपने सोचा होगा कि शी जिनपिंग जी 20 शिखर सम्मेलन में भारत को अपने रौब के चलते नहीं आ रहे हैं, लेकिन अब आप ही बताइए, जब इनका अपना देश भूख से मर रहा है, तो वो इतने बड़े आयोजन में कैसे हिस्सा ले सकते हैं?
2012 में जब से वो चीन के राष्ट्रपति बने हैं, चीन की अर्थव्यवस्था सिकुड़ने लगी है. चीन की कामकाजी आबादी खत्म हो रही है, जिसके कारण घरेलू बाजार में मांग कम है, जिसके कारण बाजार में पैसा घूमना बंद हो गया है।
और निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था के कारण दूसरे देशों में माल बेचना भी बंद हो गया है, अब जब चीन चमगादड़ खा कर दुनिया को कोविड की सौगात देगा, तो दुनिया इनकी आरती नहीं उतारेगी।
लेकिन दिलचस्प बात ये है कि अभी भी कम्युनिस्ट पार्टी और शी जिनपिंग की मौज खत्म नहीं हुई है और इसे पूरा करने के लिए अब चीन पाकिस्तान से अपना पैसा वापस मांगेगा। चीन को बेचने के लिए दुनिया ने लगाई बोली, लेकिन नहीं मिला कोई खरीददार
लेखक: करन शर्मा