केदारनाथ की तर्ज पर दिल्ली में बन रहे मंदिर पर विवाद

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kedarnath yatra 2024
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दिल्ली में उत्तराखंड के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर बन रहे एक नए मंदिर को लेकर अयोध्या के प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कड़ी आपत्ति जताई है। आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि इस नए मंदिर का नाम कुछ और होना चाहिए क्योंकि केदारनाथ एक ही है और वह हमेशा उत्तराखंड में ही रहेगा।

केदारनाथ मंदिर की कोई तुलना नहीं

आचार्य सत्येंद्र दास ने अपने बयान में कहा कि उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर आदिशक्ति का प्रतीक है और वहां मिलने वाले फल की तुलना किसी और स्थान पर नहीं की जा सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि “12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिनमें से एक केदारनाथ भी है। यह उत्तराखंड में स्थित है और यह सर्वशक्तिमान है। इन ज्योतिर्लिंगों की शक्तियां अद्वितीय और विलक्षण हैं, इसीलिए लोग दूर-दूर से वहां दर्शन के लिए आते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि अगर दिल्ली में बनने वाले मंदिर को केदारनाथ के नाम से ही जाना जाएगा, तो वह मंदिर ज्योतिर्लिंगों में शामिल नहीं होगा और उसकी शक्तियां भी अलग होंगी। “जो शक्तियां ज्योतिर्लिंगों में हैं, वह दूसरे स्थान पर नहीं मिल सकतीं,” उन्होंने कहा। “जैसे किसी के घर में मंदिर बनाना, उससे उतनी ही शक्ति प्राप्त होगी जितनी वह स्थान प्रदान कर सकता है।”

जगरद्गुरु अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि “जिस धाम को जगदगुरु आदिशंकराचार्य ने स्थापित किया, उसके जैसा कोई अन्य स्थान नहीं हो सकता।” इस प्रकार का मंदिर बनाना उचित नहीं है क्योंकि यह हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के मूल्यों के खिलाफ है।

दिल्ली में बुजुर्ग लोग कर सकेंगे दर्शन

दिल्ली में बन रहे इस नए मंदिर के भूमि पूजन का कार्य देख रहे केदारनाथ धाम ट्रस्ट बुराड़ी के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने बयान दिया कि जो बुजुर्ग केदारनाथ धाम नहीं जा सकते, वे अब दिल्ली में बाबा के दर्शन कर सकेंगे। इस बयान से विवाद और बढ़ गया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 10 जुलाई को दिल्ली के बुराड़ी के हिरंकी में इस मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास किया।