बागपत में ज्ञानवापी जैसे विवाद पर फैसला सुरक्षित, 53 सालों से नहीं हो सका साबित लाक्षागृह है या मजार

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बागपत न्यूज़: वाराणसी के ज्ञानवापी जैसा मामला यूपी के एक और शहर से समाने आया है। ये विवाद करीब 53 साल पुराना बताया जा रहा है। बागपत के बरनावा गांव स्थित लाक्षागृह में मजार को लेकर मुस्लिम पक्ष के लोगों ने एक रिट दायर की थी। यह विवाद करीब 53 वर्ष पुराना है। मेरठ से विवाद की शुरुआत कोर्ट परिसर से होते हुए आज बागपत के सिविल जज के यहां इसकी सुनवाई चल रही है। 12 सितंबर को इस मामले में बागपत के सिविल जज को इस मामले में अपना फैसला सुनाना था, लेकिन हड़ताल के चलते इस फैसले को सुरक्षित रख लिया गया है।

अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी

मिली खबर के अनुसार, अब इस मामले की सुनवाई 22 सितंबर को होगी। 12 सितंबर को इस विवाद पर बागपत के सिविल कोर्ट में निर्णय आना था, लेकिन वकीलों की हड़ताल के चलते इस निर्णय को सुरक्षित रखा गया है। इस निर्णय को देखते हुए बागपत में पुलिस ने चाक चौबंद व्यवस्थाएं की थीं। कोर्ट परिसर में भी सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। वहीं, संवेदनशील जगहों पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।

वकीलों ने क्या कहा?

इस मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील शाहिद अली का कहना है कि सारे सबूत मजार होने का प्रमाण साबित करते हैं और न्यायपालिका पर हमें भूरा भरोसा है। निर्णय मुस्लिम पक्ष के हक में आएगा। वहीं, हिन्दू पक्ष के वकील रणवीर सिंह तोमर का कहना है कि सारे सबूत लाक्षागृह होने का प्रमाण दे रहे हैं और पुरातत्व विभाग भी इसकी पुष्टि कर चुका है। कोर्ट के फैसले पर पुरा भरोसा है। इसमें हिन्दू पक्ष की ही जीत होगी।

रिपोर्ट- वीरेंद्र तोमर