राजस्थान में अशोक गहलोत के 25 में से 17 मंंत्रियों की पराजय के पीछे की ये है खास वजह!

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नई दिल्ली: 3 दिसंबर को विधानसभा चुनावों के आए परिणामों ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। मतदान के बाद 30 नवंबर को आए एग्जिट पोल में कांग्रेस की बढ़त देखने को मिली थी। लगभग तय हो चुका था कि राजस्थान में इस बार रिवाज बदलेगा और राज कायम रहेगा। लेकिन रविवार को आए चुनाव परिणामों ने कांग्रेस की सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और जीत का सेहरा बीजेपी के सर रहा।

बता दें कि 25 नवंबर को हुए राज्य विधानसभा चुनाव में निवर्तमान कैबिनेट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित 25 में से केवल नौ मंत्री ही जीत हासिल कर पाए, जबकि भारतीय जनता पार्टी के सात में से केवल तीन सांसद चुनाव हार गए।

लगातार छठी बार जीते अशोक गहलोत

सीएम गहलोत, जो 1998 से जोधपुर की सरदारपुरा सीट से पांच बार विधायक रहे, ने छठी बार अपना गढ़ बरकरार रखा, और भाजपा के नए चेहरे- जेएनवीयू के प्रोफेसर महेंद्र राठौड़ को 26,000 से अधिक वोटों से हराया। हालांकि, 2018 की तुलना में गहलोत की जीत का अंतर आधा हो गया।

अशोक गहलोत के 9 मंत्री रहे विजयी

इस बीच, रविवार को पार्टी की हार के बावजूद जीत हासिल करने वाले गहलोत मंत्रिमंडल के नौ मंत्रियों में शामिल हैं- अलवर ग्रामीण से टीकाराम जूली, कोटा उत्तर से शांति धारीवाल, दौसा से मुरारी लाल मीणा, बांसवाड़ा से अर्जुन बामनिया, बागीदौरा से महेंद्रजीत मालवीय, बृजेंद्र ओला झुंझुनू से, अशोक चांदना हिंडोली से और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) नेता सुभाष गर्ग भरतपुर से।

4 मंत्रियों ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की

राज्य के सामाजिक न्याय और जेल मंत्री और दो बार के विधायक जूली ने भाजपा के जयराम जाटव को 27,000 से अधिक वोटों से हराया और संसदीय मामलों के मंत्री और तीन बार के विधायक धारीवाल ने भाजपा के प्रह्लाद गुंजल को केवल 2,486 वोटों के करीबी अंतर से हराया, जिससे 2018 का आंकड़ा कम हो गया। 20,000 वोट.

राज्य के जनजातीय मामलों के मंत्री बामनिया भी भाजपा के धन सिंह रावत के साथ कड़ी टक्कर के बाद जीत हासिल करने में सफल रहे, जबकि तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग महज 5,000 वोटों के अंतर से जीते। यह पहली बार है कि इन चार मंत्रियों ने लगातार दो चुनावों में अपनी सीटें बरकरार रखीं, तो वहीं राज्य के पर्यटन और कृषि विपणन मंत्री मुरारी लाल मीना ने भाजपा के शंकर लाल शर्मा के खिलाफ 30,000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की। इस बीच, राज्य के परिवहन मंत्री और तीन बार के विधायक ओला ने भाजपा के निशीत कुमार को लगभग 30,000 वोटों से हराकर चौथी बार झुंझुनू में अपना गढ़ बरकरार रखा।

बता दें कि राज्य के खेल एवं युवा मामलों के मंत्री चांदना और जल संसाधन मंत्री मालवीय ने भी अपनी-अपनी सीटों पर जीत बरकरार रखी है।

अशोक गहलोत के पराजित 17 मंत्री

बीपीजे से हारने वाले 17 कैबिनेट मंत्रियों में शामिल हैं- पोकरण में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सालेह मुहम्मद, सिकराय में महिला और बाल विकास मंत्री ममता भूपेश, कामां में राज्य की शिक्षा मंत्री जाहिदा खान हार गईं, कोटपूतली में उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव, ग्रामीण विकास मंत्री रमेश सपोटरा में मीणा, बीकानेर पश्चिम में राज्य के शिक्षा मंत्री बुलाकी दास कल्ला, सिविल लाइंस में नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, बानसूर में वाणिज्य और व्यापार मंत्री शकुंतला रावत और डीग-कुम्हेर में नागरिक उड्डयन मंत्री विश्वेंद्र सिंह हार गए।

बीजेपी के 7 सांसदों में से केवल 4 जीते

भाजपा ने अक्टूबर में अपने उम्मीदवारों की पहली सूची में सात मौजूदा सांसदों को मैदान में उतारा था, जिनमें से चार विजयी हुए जबकि तीन को हार का सामना करना पड़ा।

राजस्थान में कांग्रेस के हारने की वजह?

राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हारने की कोई एक वजह नहीं हो सकती है। अगर देखा जाए तो कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण राजस्थान में जारी रिवाज को माना जा रहा है। वहीं, दूसरा सबसे बड़ा कारण पीएम मोदी का चुनावी मैदान में उतना और जनता के बीच एक भरोसा कायम करना भी माना जा रहा है। एक बात तो तय है कि कांग्रेस ने राजस्थान में अपनी सत्ता वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। गहलोत सरकार में किए गए कार्यों को जनता ने भी सरहा है, लेकिन गहलोत पर दूसरी बार भरोसा नहीं किया और सत्ता परिवर्तन का रिवाज कायम रखा।

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