Gyanvapi ASI Survey: ज्ञानवापी के ASI सर्वे में DGPS मशीन का हुआ इस्तेमाल, जानिए कैसे काम करती है ये मशीन?..

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Gyanvapi Third Day Survey: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर सर्वे का रविवार यानी 6 अगस्त को तीसरा दिन है। खबर है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया परिसर में हिंदू चिन्हों को जुटाया जा रहा है। पहले और दूसरे दिन के सर्वे में ASI टीम ने हिंदू धर्म चिन्हों को इकट्ठा करके एक जगह स्टोर कर लिया है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, सर्वे में डीजीपीआर तकनीक यानी डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है।

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वेक्षण मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार, कल पश्चिमी दीवार का विस्तृत अध्ययन किया गया। पश्चिमी दीवार से लेकर बैरिकेडिंग तक के क्षेत्र में मौजूद घास हटा दी गई। ‘तहखाना’ साफ कर दिया गया और एग्जॉस्ट लगाया जा रहा है। मैंने केंद्रीय गुंबद के नीचे एक खोखली आवाज की ओर इशारा किया, इसकी जांच की जा रही है। केंद्रीय गुंबद के बगल का एक क्षेत्र, जो कृत्रिम रूप से ढका हुआ है, उसकी ओर भी इशारा किया गया था। इसलिए जांच चल रही है। यह एक लंबी जांच है।

वकील विष्णु शंकर ने बता कि परिसर में सर्वे के दौरान DGPS मशीन का प्रयोग किया जा रहा है। जो GPS मशीन से काफी एडवांस मशीन है। जो चलिए जानते हैं कि क्या है DGPS? और ये कैसे काम करती है…

क्या है DGPS?

डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। DGPS काफी सटीक तरीका है जिससे 10 सेंटिमीटर की निकटता तक जगह का पता लगाया जा सकता है। यह GPS से बेहतर है। क्योंकि उसमें 15 मीटर तक की दूरी का अंतर आ सकता है। इस नई पहल से सरकार को ई-गवर्नेंस से जी-गवर्नेंस तक पहुंचने का मौका मिलेगा। जी-गवर्नेंस का मतलब जियोस्पेशियल गवर्नेंस।

कैसे करता है काम?

डीजीपीएस में निश्चित स्थिति, जमीन-आधारित संदर्भ स्टेशनों के नेटवर्क शामिल हैं। प्रत्येक संदर्भ स्टेशन अपनी अत्यधिक सटीक स्थिति और कम सटीक उपग्रह-व्युत्पन्न स्थिति के बीच अंतर की गणना करता है। स्टेशन इस डेटा को स्थानीय रूप से प्रसारित करते हैं – आमतौर पर कम दूरी के ग्राउंड-आधारित ट्रांसमीटरों का उपयोग करते हुए। गैर-स्थिर रिसीवर इसका उपयोग उसी मात्रा में अपनी स्थिति को सही करने के लिए करते हैं, जिससे उनकी सटीकता में सुधार होता है।