बचपन में ही खो दिए दोनों हाथ, फिर भी हार नहीं मानी, अब लाखों लोगों के लिए मिशाल है ये युवा!

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कन्नौज/उत्तर प्रदेश: अगर आपके मन में कभी जिंदगी जीने को लेकर कोई सवाल आए, तो आप कन्नौज के इस जिंदादिल युवा के बारे में जान लेना। क्योंकि यूपी के कन्नौज का ये युवा हताश और निराश लोगों के लिए एक मिसान बना हुआ है।

महज 18 साल के इस युवा ने दिव्यांगता के अभिशाप को अपने दृढ़ निश्चय से तोड़ने की ठान ली है। इस युवा के भले ही दोनों हाथ नहीं हैं, सिर पर गंभीर चोट के निशान हैं। इन सबको पीछे छोड़ते हुए यह युवक समाज के लिए मिसाल बना हुआ है। क्योंकि यह युवक अपने दोनों पैरों से वो सबकुछ कर सकता है, जो आम इंसान अपने हाथों से कर सकता है।

3 साल की उम्र में गंवा दिए थे दोनों हाथ

कन्नौज में दोनों हाथों से दिव्यांग 18 साल का यह युवक अपने पैरों से वह काम कर लेता है, जो सामान्य लोग हाथों से नही कर पाते हैं। 3 साल की उम्र में हुये एक हादसे में अपने हाथ गंवाने वाले इस साहसी बच्चे की हिम्मत को देखकर यही कहा जा सकता है कि पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है।

दिव्यांग पैरों से चलता है मोबाइल

कन्नौज के जलालाबाद गांव निवासी मुकेश दीक्षित का पुत्र गोपाल अपने पैरों से मोबाइल चला सकता है, खाना खा सकता है, लिख सकता है, ड्राइंग कर सकता है, वह आम इंसान की तरह ही हर काम कर सकता है। गोपाल के दोनों हाथ 3 साल की उम्र में एक हादसे के कारण काटकर अलग कर दिये गए थे।

होश सम्भालने के बाद गोपाल दोनों हाथों का दिव्यांग था। पहले सिर्फ पैरों से चलने वाले इस हिम्मती युवक ने धीरे-धीरे पैरों को ही अपना हाथ बना लिया। अब वह अपने पैरों से ही वो सभी काम कर लेता है, जो सामान्य इंसान हाथों से करता है। वह स्कूल का होमवर्क पैरों से ही पूरा लिखता है। खाने के निवाले, दांतो की सफाई भी पैरों से उठाकर करता है।

पूछने पर वह बताता है कि मुझे नहीं मालूम मेरे हाथ कैसे अलग हुए। अपने पैरों को ही हाथ बनाने वाले इस बहादुर युवक का सपना भी पढ़ लिखकर कुछ बनने का है।

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