श्रीलंका में हुए संसदीय चुनावों में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व वाले नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन को भारी सफलता मिली है. शुक्रवार (15 नवंबर) को घोषित नतीजों के अनुसार, NPP ने 196 सीटों में से 141 सीटों पर जीत हासिल कर ली है. इस तरह NPP ने संसद में स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर लिया है, जोकि श्रीलंका के राजनीतिक इतिहास में एक ऐतिहासिक परिवर्तन का प्रतीक है.
दूसरे स्थान पर साजिथ प्रेमदासा की पार्टी समागी जना बालवेगया (SJB) रही, जिसने 35 सीटें जीतीं. श्रीलंका चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार, NPP ने कुल मतों का 62 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त किया है, जबकि SJB को 18 प्रतिशत और पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के समर्थक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (NDF) को महज 4.5 प्रतिशत वोट ही मिले हैं.
दिसानायके की ये चाल हुई कामयाब
राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने हाल ही में श्रीलंका की सत्ता संभाली है. लेकिन इतने कम समय में उनके द्वारा लिए गए निर्णय की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है क्योंकि उनका समय से पहले चुनाव कराने का निर्णय सफल सिद्ध हुआ है. बता दें कि दिसानायके ने सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव में 42.31% वोट प्राप्त कर राष्ट्रपति पद संभाला था, परंतु उनकी पार्टी को संसद में बहुमत नहीं था. संसद को भंग कर समय से पहले चुनाव करवाने के निर्णय से अब उनकी पार्टी को प्रचंड जनादेश मिला है. इस चुनाव के जरिए जनता ने राष्ट्रपति की नीतियों पर भरोसा जताया है और यह पहली बार है जब वामपंथी विचारधारा वाली पार्टी सत्ता में आई है.
श्रीलंका की संसद में कुल 225 सीटें होती हैं, जिसमें से किसी भी पार्टी को बहुमत प्राप्त करने के लिए 113 सीटें चाहिए. इनमें से 196 सीटों पर सीधा चुनाव होता है और शेष 29 सीटों को ‘नेशनल लिस्ट’ के माध्यम से भरा जाता है. चुनाव आयोग के अनुसार, यह नेशनल लिस्ट प्रक्रिया जनता से मिले वोटों के अनुपात में दलों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करती है.
अनुरा कुमारा दिसानायके के सामने नई चुनौतियां
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दिसानायके ने कई अहम मुद्दों पर बदलाव का वादा किया था. उन्होंने एग्जीक्यूटिव प्रेसीडेंसी को खत्म करने की बात कही थी, जिसके अंतर्गत वर्तमान में श्रीलंका के राष्ट्रपति के पास शासन की अधिकांश शक्तियां होती हैं. बता दें कि इस प्रणाली को 1978 में लागू किया गया था और अब तक इसे हटाने की मांग होती रही है, लेकिन किसी भी सरकार ने इसे समाप्त करने का साहस नहीं किया. जिसके लिए दिसानायके ने इस प्रणाली को देश के आर्थिक और राजनीतिक संकट के लिए जिम्मेदार बताया था.
इसके अलावा, उन्होंने सरकारी तंत्र से भ्रष्टाचार समाप्त करने और IMF से कर्ज के लिए किए गए समझौतों को रद्द करने का भी वादा किया था. अब जब NPP को संसद में बहुमत प्राप्त हो गया है, तो माना जा रहा है कि इन बड़े बदलावों को लागू करने के प्रयास किए जाएंगे.
जाफना का ऐतिहासिक समर्थन
श्रीलंका के पूर्व न्याय, वित्त और विदेश मंत्री मुम अली साबरी के अनुसार, इस चुनाव में जाफना जिले ने दक्षिणी क्षेत्र की पार्टी को समर्थन देकर इतिहास रचा है, जबकि तमिल पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. 55 वर्षीय वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) के प्रमुख हैं, जिन्हें चीन का करीबी माना जाता है.
आगामी चुनौतियां?
अब जब NPP सरकार ने श्रीलंका की संसद में स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर चुकी है, तो देश में कई नए सुधार लागू किए जाने की संभावना है. संसद से कानून पारित कराना और संविधान में आवश्यक संशोधन करना दिसानायके के लिए आगामी चुनौती होगी, लेकिन पूर्ण बहुमत के साथ वे अपने वादों को पूरा करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा सकते हैं. क्योंकि जनता ने उनपर अपना भरोसा जताया है.