रेल इंजन पर लगी हुई अलग-अलग लाइटों के काम क्या हैं? जानिए रेल के इंजन पर क्यों लगी होती हैं इतनी लाइटें…

Published

अगर आप भी रेल के इंजन को देखर ये सोचते हैं कि इसपर इतनी सारी लाइटें क्यों लगी होती हैं तो इन सारे सवालों के जवाब आपको आज मिलने वाले हैं। ये सवाल आपके लिए थोड़ा भ्रमित करने वाला हो सकता है। क्योंकि रेलवे इंजिन पर कुछ लाइटें बाहर की तरफ लगी होती हैं, जिन्हें हम आसानी से देख सकते हैं। इसके अलावा कुछ दूसरी प्रकार की लाइटें भी होती हैं, जिन्हें संकेतक बत्तियां या इंडिकेशन लैम्प्स कहते हैं और ये इंजिन के अंदर ज्यादातर ड्राइविंग डेस्क पर और कुछ अन्य दूसरी जगहों पर भी लगी होती हैं। ये लोको पायलट को ट्रेन संचालन के समय जल या बुझ कर लोकोमोटिव एवं ट्रेन की स्थिति के बारे में भिन्न-भिन्न संकेत देती हैं।

ये बात तो सभी जानते हैं कि प्रत्येक रेल इंजन को दोनों दिशाओं में चलाया जा सकता है, अतः दोनों तरफ एक ही प्रकार की बत्तियां लगाई जाती हैं, जो कि निम्न हैं…

हेड लाइट

इस बत्ती के बारे में हम सभी जानते हैं, क्योंकि ये बत्ती ना केवल रेल इंजन बल्कि सभी वाहनों के सामने की तरफ लगी होती है, जिसका मुख्य कार्य अंधेरे में चालक को सामने का रास्ता दिखाना है।

ट्वीन-बीम हेड लाइट

रेल इंजन में यह सामने की तरफ लुक-आउट ग्लॉससेस के ऊपर या ठीक नीचे बीचों-बीच लगाई जाती है। यहां इसे ट्वीन-बीम हेड लाइट के नाम से भी जाना जाता है। मतलब एक ही लाइट में दो बल्ब, एक फ्यूज हुआ तब भी दूसरा कार्य करता रहता है और साथ ही दोनों बल्बों में दो-दो फिलामेंट एक डिम और दूसरा ब्राइट बीम के लिए।

मार्कर लाइट

बफर या क्लासिफिकेशन लाइट के नाम से भी जानी जाती है। ये दोनों तरफ लगभग दोनों बफर के ऊपर स्थित रहती हैं। इनमें सफेद और लाल, दोनों रोशनियां होती हैं, जिनका जरूरत के हिसाब से उपयोग किया जाता है।

मार्क लाइट का उपयोग?

दोनों तरफ सफेद मार्कर बत्तियां ही जलाई जाती हैं, मगर जब कभी भी इंजन बिना किसी वाहन या ट्रेन के अकेला जाता है या फिर उसे बैंकिंग के लिए या मरम्मत के लिए शेड भेजते समय इत्यादि कार्यों के लिए ट्रेन के एकदम पीछे लगाया गया है तो इन मार्कर लाइटों को लाल रखा जाता है। बता दें कि इस तरह ये बत्तियां टेल-लैंप का भी काम करती हैं।

पुराने स्टीम इंजनों और डीजल के कुछ, जैसे कि WDM2, WDS6 एवं WDS4 इंजनों पर ये बत्तियां दो रंग के कांचों के साथ लगाई जाती थीं, सफेद और लाल। जिसे आवश्यकतानुसार हाथ से घुमाया जाता था। जबकि आजकल ये सभी बत्तियां LED वाली हैं, जिन्हें ड्राइविंग कैब से ही संबंधित स्विच द्वारा लाल या सफेद किया जा सकता है।

फ्लैशर लाइट

यह अंबर रंग की बत्ती है, जो कि दोनों तरफ, इंजन के ऊपर, हेड लाइट की दाईं तरफ लगाई जाती है। या जिन इंजनों में हेड लाइट लुक-आउट ग्लास के नीचे लगी है, वहां इसे इंजन की छत की तरफ बीच में भी लगाया जाता है।

फ्लैशर लाइट का उपयोग?

आपातकालीन स्थिति में जब सामने से आती हुई ट्रेन को रोकना हो, तो इस बत्ती को जलाया जाता है। यह बत्ती दिन के समय भी लगभग 2 किलोमीटर दूर से दिखाई देती है।

बता दें कि अगर कोई ट्रेन फ्लैशर लाइट जला कर खड़ी है तो सामने से आने वाली ट्रेन का लोको पायलट इसे देखते ही तुरंत ब्रेक लगाकर अपनी ट्रेन को रोकता है और यथास्थिति की जानकारी लेकर उसके अनुसार कार्रवाई करता है।

साथ ही ऐसी स्थिति में जबकि सेक्शन में खड़ी हुई ट्रेन के पास अगले या पिछले स्टेशन को दुर्घटना की सूचना देने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है, तब यदि विपरीत दिशा का ट्रैक फ़ाउल नहीं हुआ है तो फ्लैशर लाइट का उपयोग करके उस पर आ रही ट्रेन को रोककर उसके द्वारा पिछले स्टेशन तक सूचना भी भेजी जा सकती है।