India-China border dispute: पूर्वी लद्दाख में ‘ड्रैगन’ ने पीछे खींचे पांव! गलवान समेत चार बिंदुओं से सैनिकों की वापसी, संबंध सुधार की दिशा में बड़ा कदम…

Published

India-China border dispute: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी समेत चार महत्वपूर्ण बिंदुओं से सैनिकों को पीछे हटाने की दिशा में सहमति बनी है। यह निर्णय दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुई बैठक के बाद सामने आया है, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए बातचीत की। इस कदम से सीमा पर स्थिरता और शांति सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है।

चार बिंदुओं से सैनिकों की वापसी

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने शुक्रवार (13 सितंबर) को प्रेस वार्ता में कहा कि दोनों सेनाओं ने सीमा के चार बिंदुओं से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। इन बिंदुओं में गलवान घाटी भी शामिल है, जहां 2020 में दोनों देशों के बीच गंभीर संघर्ष हुआ था। माओ निंग ने बताया कि सीमा पर स्थिति अब स्थिर और नियंत्रण में है, जो कि दोनों देशों के रिश्तों में सुधार का संकेत है।

यह बयान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की जिनेवा में की गई टिप्पणी के एक दिन बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन के साथ सीमा पर सैनिकों की वापसी से जुड़े 75 प्रतिशत मुद्दे सुलझ चुके हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण से जुड़ी समस्याएं अभी बनी हुई हैं। जयशंकर के इस बयान के बाद चीन ने भी अपनी ओर से सैनिकों की वापसी को द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में बड़ा कदम बताया।

डोभाल-वांग की बैठक; स्थिरता और शांति पर जोर

सेंट पीटर्सबर्ग में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा की। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों पक्षों ने यह सहमति व्यक्त की कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता न केवल दोनों देशों के हित में है, बल्कि यह क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए भी अनुकूल है।

बता दें कि वांग यी ने बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए और एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक उभरते वैश्विक विकासशील देश के रूप में भारत और चीन को एकता और सहयोग का चयन करना चाहिए ताकि वे साथ मिलकर वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकें। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाकर मतभेदों को हल करेंगे और रिश्तों को सुधारने के लिए एक स्थिर और सतत विकास की दिशा में काम करेंगे।

2020 से चली आ रही झड़प पर लगा ब्रेक

दोनों देशों के बीच मई 2020 से चल रहे सैन्य गतिरोध का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है, लेकिन दोनों पक्षों ने टकराव वाले कई बिंदुओं से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। गलवान घाटी में जून 2020 में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में गंभीर गिरावट आई थी, जिसे दशकों में सबसे बड़ी सैन्य झड़प के रूप में देखा गया। हालांकि, 21 दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ताओं के बाद कुछ प्रगति हासिल हुई है।

भारत-चीन संबंधों की सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने की उम्मीद

डोभाल और वांग की बैठक के बाद जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया कि दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख के शेष विवादित बिंदुओं से भी सैनिकों की वापसी के लिए तत्परता से काम करने पर सहमति जताई है। भारत का स्पष्ट रुख है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बहाल नहीं होती, तब तक चीन के साथ संबंधों को सामान्य नहीं किया जा सकता।

डोभाल ने इस बैठक में वांग को बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का सम्मान और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने के लिए आवश्यक है। दोनों पक्षों ने यह भी सहमति जताई कि चीन और भारत के शासनाध्यक्षों के बीच बनी सहमति को क्रियान्वित किया जाएगा और आपसी विश्वास को बढ़ावा देने के लिए निरंतर संवाद बनाए रखा जाएगा।

आने वाले समय की चुनौतियां और उम्मीदें

हालांकि, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी बाकी है, लेकिन सैनिकों की वापसी की दिशा में उठाए गए ये कदम रिश्तों में स्थिरता लाने की उम्मीद जगाते हैं। दोनों देशों के बीच हाल के वर्षों में बने तनाव को कम करने और संबंधों को स्वस्थ एवं स्थिर रास्ते पर वापस लाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखा जा रहा है।