‘बंद होनी चाहिए मदरसों में पढ़ाई’, NCPCR ने राज्यों से लेटर लिख की अपील, जानें क्यों ?

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'Education in madrasas should be stopped', NCPCR wrote a letter to the states and appealed, know why?

नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को पत्र लिखा है। NCPCR द्वारा लिखे गए पत्र में आयोग ने सिफारिश की है कि मदरसों को दिया जाने वाला वित्त पोषण बंद कर दिया जाना चाहिए और मदरसा बोर्ड को भी बंद कर दिया जाना चाहिए।

NCPCR के रिपोर्ट में क्या है ?

रिपोर्ट के अनुसार NCPCR द्वारा ये सिफारिशें मुस्लिम समुदाय के बच्चों की शैक्षिक स्थिति के व्यापक अध्ययन के बाद तैयार की गई रिपोर्ट पर आधारित हैं। बाल अधिकार पैनल के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने रिपोर्ट को लेकर यह भी बताया कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप तैयार करना है कि भारत में सभी बच्चे सुरक्षित और उत्पादक वातावरण में बड़े हों ताकि वो राष्ट्रीय विकास में अपना योगदान दे।

नौ वर्षों के अध्ययन के बाद तैयार की गई रिपोर्ट

प्रियांक कानूनगो ने कहा कि आयोग ने पिछले नौ वर्षों से इस मुद्दे पर अध्ययन किया है और शोध किया है कि किस प्रकार मदरसों के कारण मुस्लिम समुदाय के बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित रह जाते हैं तथा उनके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमने इस मामले पर मुख्य सचिवों को पत्र के माध्यम से एक रिपोर्ट भेजी है और उनसे अपने-अपने राज्यों में मदरसा बोर्डों को बंद करने का अनुरोध किया है। ये मदरसा बोर्ड उस उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहे हैं जिसके लिए उन्हें स्थापित किया गया था।

RTE द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम से मिले शिक्षा

NCPCR द्वारा यह भी सिफारिश की गई है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर RTE अधिनियम, 2009 के अंतर्गत बुनियादी शिक्षा के लिए स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए। इसके साथ मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसा में पढ़ रहे हैं उन्हें भी स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए और RTE अधिनियम 2009 के अनुसार निर्धारित पाठ्यक्रम की शिक्षा दी जाए।

-गौतम कुमार

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