Emergency 1975: आज ही के दिन देश में लगा था आपातकाल, इंदिरा गांधी के फैसले ने छिना था लोगों का अधिकार

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इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी

Emergency 1975: आज से ठीक 49 साल पहले देश में आपातकाल लागू किया गया था। लोगों के अधिकारों को छिना गया था। विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया, मीडिया पर पाबंदी लगाई गई। यह फैसला उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लिया गया था। उन्होंने यह तानाशाही फैसला सत्ता पर अपनी पकड़ कायम रखने के लिए किया। लेकिन, बाद में उन्हें लोकसभा चुनाव में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। कांग्रेस को देश में हार का सामना करना पड़ा था।

कितने दिनों तक लागू रहा आपातकाल?

भारतीय राजनीति के इतिहास में आपातकाल को एक काले अध्याय के रुप में देखा जाता है। देश भर में 25 जून 1975 से लेकर 21 मार्च 1977 तक यानी 21 महीने तक आपातकाल लागू रहा था। उस समय कांग्रेस के राजनीतिक विरोधों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत के दौरान पीएम मोदी ने सोमवार को कहा कि हम आपातकाल की 50वीं बरसी से एक दिन पहले मिल रहे हैं। नई पीढ़ी इस दिन को कभी भी नहीं भूलेगी।

क्यों लगाया गया आपातकाल?

1971 के चुनाव के दौरान इंदिरा गांधी ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को करारी शिकस्त दी थी। राजनारायण ने इंदिरा गांधी पर सरकारी मशीनरी और संसाधनों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामला दायर किया। 12 जून 1975 को हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी को दोषी माना। उनका निर्वाचन रद्द हो गया और 6 साल तक किसी भी चुनाव को लड़ने पर रोक लगा दी गई। फिर क्या इंदिरा गांधी के पास पीएम का पद छोड़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।

वहीं, इंदिरा गांधी ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद कोर्ट के फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई। कोर्ट ने इंदिरा गांधी को सिर्फ पीएम बने रहने की इजाजत दी। आखिरी फैसला आने तक उन्हें सांसद के तौर पर वोट डालने का अधिकार नहीं था।

जय प्रकाश नारायण कांग्रेस के खिलाफ कर रहे थे आंदोलन

एक दूसरा कारण यह भी था कि जय प्रकाश नारायण कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और वह काफी तेजी से आगे बढ़ रहा था। जय प्रकाश नारायण ने कोर्ट को इंदिरा गांधी को पीएम पद से हटाने का हवाला देते हुए स्टूडेंट्स, सैनिकों और पुलिस से सरकार के आदेश ना मानने का आग्रह किया। इन सभी चीजों से इंदिरा गांधी काफी नाराज थी। यहां तक की उन्होंने बिना कैबिनेट मीटिंग के ही आपातकाल लगाने की सिफारिश राष्ट्रपति से कर दी। आपातकाल लगाने पर तत्कालीन राष्ट्रपति ने 25 और 26 जून की मध्य रात्रि में ही अपने हस्ताक्षर कर दिए। फिर देश में आपातकाल लागू हो गया।

मीडिया पर पाबंदी, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी

आपातकाल आजाद भारत के इतिहास में एक काला अध्याय बन गया। इस दौरान मेंटेनेंस ऑफ इंटर्नल सिक्योरिटी एक्ट के तहत लोगों को जेल में डालने की सरकार को बेलगाम छूट मिल गई। विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। मीडिया पर पाबंदी लगाई गई।

सरकार के खिलाफ लिखने पर गिरफ्तारी

आपातकाल लागू होने के बाद लोगों के मौलिक अधिकारों को छिन लिया गया।विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। जिनमें जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी समेत कई दिग्गज नेता शामिल थे। इसके अलावा मीडिया पर सेंसरशिप लागू किया गया। हर अखबार में सेंसर अधिकारी को बिठा दिया गया, उसके इजाजत के बाद ही कोई खबर अखबार में छापा जा सकता था। सरकार के खिलाफ लिखने पर गिरफ्तारी भी की जा सकती थी।

कई पत्रकारों को मीसा (मीसा कानून 1971 में लागू किया गया था। वहीं इसका इस्तेमाल आपातकाल के समय कांग्रेस विरोधियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डालने के लिए किया गया) के तहत गिरफ्तार किया गया। सरकार पूरी कोशिश करने में लगी थी कि लोगों तक सही जानकारी न पहुंच पाएं।

आपातकाल लागू करने के पीछे संजय गांधी का बहुत बड़ा हाथ

इसके अलावा आरएसएस सहित 24 संगठनों पर बैन लगाया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आपातकाल लागू करने के पीछे इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी का भी बहुत बड़ा हाथ था। इंदिरा गांधी संजय गांधी के कहने पर फैसले लेती गई। जिसमें लोगों का जबरदस्ती सामूहिक तौर पर नसबंदी करवाने का फैसला भी शामिल था।

जनता ने लिया बदला

फिर 21 मार्च 1977 को आपातकाल खत्म हुआ। 1977 में आपातकाल के बाद भारत में छठें लोकसभा का चुनाव हुआ। वहीं जनता ने आपातकाल के दौरान हुए सभी जुल्मों का हिसाब लिया। जनता ने कांग्रेस को हराकर सत्ता की चाबी जनता पार्टी के हाथ में दे दी। उस समय कांग्रेस से अलग हुए मोरारजी देसाई को पहला गैरकांग्रेसी पीएम चुना गया। आजादी के 30 साल बाद यह पहली गैरकांग्रेसी सरकार थी।

लेखक: रंजना कुमारी

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