नई दिल्ली।भारतीय वायु सेना और Uber ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. जिस पर विशेषज्ञों ने डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंता जताई है और समझौते पर पुनर्विचार करने की सलाह दी.
बता दें कि भारतीय वायु सेना ने वायु सेना के अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए परेशानी मुक्त कैब सेवाएं प्रदान करने के लिए अमेरिकी ऐप-आधारित कैब एग्रीगेटर उबर के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
सोशल मीडिया पर पोस्ट कर साझा किए विचार
भारतीय वायु सेना और Uber के बीच हुए इस समझौते को लेकर सुरक्षा विशेषज्ञों और पूर्व सेना अधिकारियों ने डेटा एक्सपोज़र, स्थान ट्रैकिंग और तीसरे पक्ष द्वारा ऐप्स से संवेदनशील जानकारी के साझा होने के बारे में चिंता जताई है. एक्स पर एक पोस्ट में सेवानिवृत्त सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल केजी एस ढिल्लन ने वायु सेना नेतृत्व को उबर के साथ समझौता ज्ञापन (MOU) पर पुनर्विचार करने की सलाह दी.
पूर्व कोर कमांडर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, इस पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. आप व्यावहारिक रूप से प्रत्येक वायु सेना कार्मिक को जियो-टैग कर रहे हैं, जिससे वे लाइव ट्रैकिंग के प्रति असुरक्षित हो रहे हैं.
ICT तथा प्राइवेसी कानून के बिना भारत की सैन्य सुरक्षा असंभव : राजन
एक अन्य सेवानिवृत्त सेना अधिकारी और तकनीकी उद्यमी पवित्रन राजन ने भी इसी तरह के विचार साझा किए और कहा कि डेटा स्थानीयकरण, स्वदेशी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के बिना मजबूत डेटा प्राइवेसी कानून असंभव हैं.
राजन ने कहा, “रणनीति बिना युक्ति जीत का सबसे धीमा रास्ता है.युक्ति के बिना रणनीति रणनीति हार से पहले का शोर है. मैं इस बात से खुश नहीं हूं कि सैन्य अधिकारियों का सार्वजनिक रूप से उपहास किया जा रहा है और उन्हें नीचा दिखाया जा रहा है. अब महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के पास संप्रभु साइबर स्पेस नहीं होने और भारत की सुरक्षा के लिए आवश्यक कानून नहीं होने के बारे में जो समस्याएं सामने आई हैं, उन पर बहस की जाए. उन्होंने कहा, “यह एक चेतावनी है, क्योंकि डेटा स्थानीयकरण और स्वदेशी ICT तथा मजबूत प्राइवेसी कानून के बिना भारत की सैन्य सुरक्षा असंभव है.