नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को अपना लगातार सातवां केंद्रीय बजट पेश करने के लिए तैयार हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के लगातार तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण वित्तीय बजट होगा। केंद्रीय बजट 2024-25 में सभी क्षेत्रों के करदाताओं को लाभ पहुंचाने और भारत में व्यापार करने में आसानी बढ़ाने के लिए आयकर ढांचे को संशोधित करने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है।
वित्त मंत्री का भाषण 23 जुलाई, 2024 को सुबह 11 बजे शुरू होने की संभावना है। विशेष रूप से, सीतारमण लगातार सात बजट भाषण पेश करने वाली पहली वित्त मंत्री के रूप में भी इतिहास बनाने वाली हैं। अब वह पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के 1959-64 के बीच वित्त मंत्री के रूप में लगातार छह बजट पेश करने के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देंगी।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024 का लोकसभा में हुआ प्रस्तुतिकरण
कल, 22 जुलाई को बजट सत्र की शुरुआत में लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024 पेश किया गया। संसद का बजट सत्र 22 जुलाई को शुरू हुआ और सीतारमण ने आज पेश होने वाले केंद्रीय बजट से एक दिन पहले 2024 का आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज़ पेश किया। सत्र में 22 दिनों में 16 सत्र होने की संभावना है और 12 अगस्त को संसद सत्र समाप्त होने की उम्मीद है। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने कहा है कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश की जीडीपी 6.5-7 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है।
क्या सरकार बजट में आम जनता पर टैक्स का बोझ कम करेगी?
लोकसभा में सरकार इस बात को बता चुकी है कि पिछले 10 साल के दौरान देश का आंतरिक कर्ज बढ़ा है। देश का आंतरिक कर्ज का आंकड़ा अब जीडीपी के 55 फीसदी के भी पार निकल गया है जो 2013-14 में 48.8 फीसदी पर था। सरकार का ही आंकड़ा है जिससे पता चलता है कि देश के कुल डायरेक्ट टैक्स में सैलरीड क्लास का हिस्सा कॉरपोरेट से आने वाले हिस्से से ज्यादा है। साफ है कि सैलरीड क्लास या मिडिल क्लास पर टैक्स का तगड़ा बोझ है जिसे कम करने के लिए लोगों के सब्र की इंतेहा होती दिख रही है। वित्त मंत्री या तो टैक्स स्लैब में बदलाव करें या टैक्स की दरों को घटाएं- आम जनता की यही पुकार है।
नौकरी के सवाल पर क्या होगा सरकार का जवाब?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब से देश की वित्त मंत्री का जिम्मा संभाला है, उनके सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से रोजगार का सवाल अहम है। देश के युवाओं को नौकरी और रोजगार की जरूरत है और इसके लिए वो लंबे समय से उम्मीदें लगाए बैठे हैं। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में कह चुके हैं कि केंद्र की एनडीए सरकार के 10 सालों के दौरान देश में रोजगार बढ़ा है लेकिन ये काफी नहीं लग रहा है। भारत की बेरोजगारी दर एक ऐसा विषय है जिसे ज्वलंत मुद्दा कहा जा सकता है क्योंकि हर तरफ नौकरियों के लिए मारामारी है। वित्त मंत्री इस चैलेंज को पार करने के लिए कौनसी जादू की छड़ी घुमाती हैं, इस पर सबका ध्यान है।