नहीं रहीं लोक गायिका Sharda Sinha, दिल्ली एम्स में ली आखिरी सांस

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नई दिल्ली। बिहार की मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया. दिल्ली एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. उनकी तबीयत अचानक अधिक बिगड़ी थी जिसके बाद वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा था. जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया.

26 अक्टूबर को दिल्ली के एम्स में हुईं भर्ती

तबीयत बिगड़ने के बाद 26 अक्टूबर को शारदा सिन्हा को दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था. वो ICU में भर्ती थीं. 3 नवंबर को हालत में थोड़ा सुधार होने पर वार्ड में शिफ्ट किया गया था लेकिन 4 नंवबर की शाम को उनका ऑक्सीजन लेवल काफी गिर गया, जिसके बाद से वो वेंटिलेटर पर थी.

छठ गीतों से मिली प्रसिद्धी 

बिहार कोकिला के रूप में लोकप्रिय शारदा सिन्हा का 1 अक्टूबर 1952 को सुपौल जिले के हुलास में हुआ था. उन्होंने म्यूजिक में MA किया था. शारदा सिन्हा  ने  1974 में पहली बार भोजपुरी गीत गाना शुरू किया फिर 1978 में पहली बार ‘उग हो सूरज देव’ गाना रिकॉर्ड किया और 1989 में ‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां… गाने से बॉलीवुड में एंट्री ली। शारदा सिन्हा ने समस्तीपुर वीमेन कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर भी काम किया। शारदा सिन्हा ने छठ, विवाह, मुंडन, जनेऊ, विदाई, श्रद्धांजलि गीत गाए हैं लेकिन छठ के गीतों से उन्हें काफी ख्याति मिली।

पद्मश्री और पद्मभूषण सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित

शारदा सिन्हा को संगीत में योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.

  • 1991-पद्मश्री
  • 2000 – संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
  • 2006 -राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवॉर्ड
  • 2015- बिहार सरकार पुरस्कार
  • 2018- पद्मभूषण