Foreign Policy of New India: वैश्विक मंच पर भारत का उभरता नेतृत्व; पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में नई विदेश नीति और विश्व व्यवस्था का दुनिया में बजा डंका

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Foreign Policy of New India: ये वक्त नए हिंदुस्तान का है आज दुनिया भर में हिंदुस्तान का मान, सम्मान, पहचान है। पिछले कुछ सालों में अगर किसी देश के नेता का दुनिया में डंका बजा तो वो हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही है। आज दुनिया भर के नेता पीएम मोदी से मिलना चाहते हैं। बड़े-बड़े देशों के ताकतवर नेता उन्हें गले लगाना चाहते हैं, उनके साथ सेल्फी लेना चाहते हैं, उनकी बाते सुनना चाहते हैं। पूरी दुनिया को हिंदुस्तान पर भरोसा है क्योंकि युद्ध के इस दौर में हिंदुस्तान का रवैया पूरी तरह से न्यूट्रल है। हिंदुस्तान शुरू से कहता रहा कि वो सिर्फ ‘शांति’ चाहता है।

यही कारण है कि बीते 76 दिन में पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन जंग के तीन बड़े किरदार देश रूस, यूक्रेन और अमेरिका का दौरा किया। इस दौरान पीएम मोदी ने तीनों देशों के राष्ट्रपति से मुलाकात की और तीनों देश के राष्ट्रपति ने एक भरोसेमंद दोस्त की तरह पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। हालांकि, हिंदुस्तान के इस न्यूट्रल रवैये की आलोचना भी हुई। लेकिन अब धीरे-धीरे ही सही, हिंदुस्तान खुद को पीसमेकर के तौर पर स्थापित करने में काफी हद तक कामयाब होता नजर आ रहा है। अमेरिका दौरे पर पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय से कहा था पहले हिंदुस्तान सबसे समान दूरी की नीति पर चलता था। अब हिंदुस्तान सबसे समान नजदीकी वाली नीति पर चल रहा है।

हिंदुस्तान की नई विदेश नीति

मोदी के अमेरिका दौरे में हिंदुस्तान के नए विदेश नीति का वर्ल्ड ऑडर दिख रहा है। विदेश मामलों के जानकार का मानना है कि हिंदुस्तान का वर्ल्ड ऑडर सभी देशों के साथ है। इसमें अमेरिका भी है रूस के लिए भी जगह है और यूक्रेन के साथ भी रिश्ता है। हिंदुस्तान किसी के दवाब में अब झुकने वाला नहीं है। जुलाई में मॉस्को में मोदी और पुतिन की मीटिंग हुई, अगस्त में मोदी जेलेंस्की से यूक्रेन में मिले और सितंबर में मोदी के साथ बाइडेन दिखाई दिए, यही वर्ल्ड ऑडर की नई तस्वीर भी है। हिंदुस्तान को किनारे करना अब किसी भी देश के लिए मुमकिन नहीं है। यही कारण है कि आज हिंदुस्तान कहता है तो दुनिया उसे गौर से सुनती है ।

रूस-यूक्रेन जंग का रास्ता निकाल सकता है भारत

हिंदुस्तान के नए वर्ल्ड ऑडर के मदद से ही रूस-यूक्रेन जंग का रास्ता निकल सकता है। हिंदुस्तान यहां किसी भी देश के मुकाबले बेहतर पोजिशन पर है। अमेरिका और रूस आपस में दुश्मन हैं, एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते। अमेरिका और चीन के बीच भी दुश्मनी जग जाहिर है इन दोनों देशों के बीज भी विश्वास का संकट है, जबकि हिंदुस्तान रूस की दोस्ती काफी गहरी है और अमेरिका से भी संबंध उतने ही अच्छे हैं, जितने की रूस से, यही नहीं हिंदुस्तान का संबंध यूक्रेन से भी बेहतर है। यहां सिर्फ हिंदुस्तान ही रूस-यूक्रेन और अमेरिका तीनों से मिलकर डील कर रहा है और जंग खत्म करने के लिए रास्ता बनाने की कोशिश कर रहा है।

नई सदी में विश्व पटल पर भारत का बज रहा है डंका

एक वक्त था जब अमेरिका और रूस मिलकर दुनिया का वर्ल्ड ऑडर तय करते थे, लेकिन अब हिंदुस्तान का नया वर्ल्ड ऑडर दुनिया के सामने है। इसमें चीन का मुकाबला करने के लिए हिंदुस्तान, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया मिलकर क्वाड का चक्रव्यूह भी तैयार किया है, ताकि चीन के विस्तारवाद की काट तैयार हो सके। क्वाड की यूएन में सुधार पर बात हुई और साथ ही यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की परमानेंट सीट के लिए अमेरिका ने हिंदुस्तान का समर्थन भी किया। हिंदुस्तान आज कितना बड़ा शांति दूत बनकर उभरा है इसका प्रमाण इसी से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी को 15 से ज्यादा देशों का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिल चुका है, जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री से काफी ज्यादा है।

अमेरिका और हिंदुस्तान की दोस्ती मोदी के कार्यकाल में परवान चढ़ रही है। बतौर प्रधानमंत्री वो अब तक 9 बार अमेरिका का दौरा कर चुके हैं। इस दौरान अमेरिका के तीन-तीन राष्ट्रपति बदले, लेकिन पीएम मोदी का तीनों ही राष्ट्रपति से रिश्ता बेहद खास रहा है। पीएम मोदी जब अपने 9वें अमेरिका यात्रा पर पहुंचे, तो बाइडेन ने उनका स्वागत जिस तरह से किया वो तस्वीरें बताती हैं कि बाइडेन और मोदी की दोस्ती कितनी गहरी है। बाइडेन ने पीएम मोदी को गले से लगाया और अपने आवास के अंदर ले जाने के दौरान पीएम मोदी का हाथ पकड़ रखा था। इशारा साफ था हाथ के साथ-साथ दोनों नेताओं के दिल भी मिले हुए हैं। इससे पहले बाइडेन और पीएम मोदी की मुलाकात तब हुई जब पीएम मोदी अमेरिका के स्टेट विजिट पर गए थे और यही गर्मजोशी उस मुलाकात में भी नजर आई थी।

पीएम मोदी और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की मुलाकातें भी दोस्ती के नए इतिहास को लिखा। दोस्ताना ऐसा रहा कि पीएम मोदी ओबामा को हमेश दोस्त कहकर ही बुलाते थे। फिर उसके बाद आए डोनल ट्रंप से पीएम मोदी की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है। अबकी बार मोदी सरकार का नारा ट्रंप को इतना पसंद आया कि वो उनके कैंपेन का हिस्सा बन गया था। भारत और अमेरिका एक सबसे बड़ा लोकतंत्र दूसरा सबसे पूराना लोकतंत्र है। आज दोनों को एक दूसरे की जरूरत है। देशों के बेहतर रिश्तों के लिए व्यापार के लिए अर्थव्यवस्था के लिए और सुरक्षा के लिए।

लेकिन इन बेहतर रिश्तों की बुनियाद तभी पड़ सकती है, जब इन रिश्तों को मजबूत करने वाले नेताओं के आपसी रिश्ते मजबूत हो और पीएम मोदी की यूएसपी यही है कि वो तमाम नेताओं से आपसी रिश्ते बेहतर रखते हैं। अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन से लेकर ब्राजील, रूस से लेकर इटली, तमाम बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते नहीं थकते हैं। प्रधानमंत्री के लिए विदेश नीति कितनी मायने रखती है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने तीसरे कार्यकाल के महज कुछ महीने में ही पीएम मोदी 6 देशों का यात्रा कर चुके हैं, इसमें रूस से लेकर यूक्रेन ब्रुनेई से लेकर सिंगापुर और अमेरिका से लेकर इटली तक का यात्रा शामिल हैं।

पीएम मोदी ने तीसरे कार्यकाल में विदेश यात्रा की शुरूआत इटली में G7 की बैठक से की थी। G7 में जब पीएम मोदी पहुंचे तो इटली से जो तस्वीरें आईं थी, वो गवाही दे रही थी कि पीएम मोदी दुनिया में कितने लोकप्रिय हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं थी। दोनों नेताओं की इन तस्वीरों में हिंदुस्तान-इटली के बीच मजबूत होती आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी की तस्वीर पेश की थी।

बात अगर इटली हिंदुस्तान की व्यापारिक संबंधों की करें, तो इटली में करीब 2 लाख ज्यादा हिंदुस्तानी रहते हैं। हिंदुस्तान और इटली यूरोपियन यूनियन में व्यापारिक साझेदार हैं। हिंदुस्तान इटली के बीच 1.25 लाख करोड़ रुपए का व्यापार होता है। मौजूदा वक्त में इटली की करीब 700 कंपनियां हिंदुस्तान में काम करती हैं, वहीं हिंदुस्तान की करीब 140 से ज्यादा कंपनियां इटली में स्थापित हो चुकी हैं।

विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काल में भारत की विदेश नीति ने अपना लोहा मनवाया है। आज हिंदुस्तान को किनारे करना अब किसी भी देश के लिए मुमकिन नहीं है। अपने दो कार्यकाल में विदेश में हिंदुस्तान का डंका बजाने के बाद तीसरे कार्यकाल में पीएम मोदी उसे नए अयाम पर पहुंचा रहे हैं। आने वाले समय में इस बात की प्रबल संभावना है कि वैश्विक मंच पर भारत नई विश्व व्यवस्था का नेतृत्वकर्ता की भूमिका में नजर आ सकता है।

सरफराज सैफी, वरिष्ठ पत्रकार