MS धोनी की याचिका पर पूर्व IPS अफसर को जेल, धोनी पर लगाया था IPL मैच फिक्सिंग का आरोप!

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चेन्नई/तमिलनाडु: मद्रास हाई कोर्ट ने पूर्व क्रिकेटर एमएस धोनी के खिलाफ अवमानना मामले में आईपीएस अधिकारी संपत कुमार को 15 दिन जेल की सजा सुनाई है।

बता दें कि 2013 में आयोजित आईपीएल क्रिकेट मैच में जुए (सट्टे) की जांच करने वाले आईपीएस अधिकारी संपत कुमार द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया था कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एमएस धोनी जुए में शामिल थे। इसके आधार पर, क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने 2014 में मद्रास उच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि एक निजी टेलीविजन द्वारा आयोजित एक बहस कार्यक्रम (न्यूज डिबेट) द्वारा उनका नाम बदनाम किया गया था।

इस मामले में, कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले निजी टेलीविजन, उसके संपादक और आईपीएस अधिकारी संपत कुमार को प्रति-याचिकाकर्ता के रूप में शामिल किया गया था।

बता दें कि उच्च न्यायालय ने आईपीएस अधिकारी संपत कुमार द्वारा मामले को खारिज करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।

IPS संपत को सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी पड़ी भारी!

IPS संपत कुमार ने कथित तौर पर दावा किया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 2013 IPL में मैच फिक्सिंग पर जस्टिस मुद्गल समिति की रिपोर्ट के कुछ हिस्सों को सीलबंद कवर में रखने का फैसला किया और इसे विशेष जांच दल को प्रदान नहीं किया।

धोनी ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि संपत ने कहा था कि सीलबंद लिफाफे को रोकने के पीछे सुप्रीम कोर्ट का एक मकसद था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। संपत कुमार की टिप्पणियों से अदालतें धूमिल हो सकती हैं और न्यायपालिका में जनता का विश्वास कम हो सकता है। इसलिए याचिका में कहा गया कि उन्हें कोर्ट की अवमानना कानून के तहत सजा दी जानी चाहिए।

IPS संपत को 15 दिन की जेल

शुक्रवार को जस्टिस एसएस सुंदर और सुंदर मोहन की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। जजों ने मामले की सुनवाई की और आईपीएस अधिकारी संपत कुमार को अदालत की अवमानना के आरोप में 15 दिन की जेल की सजा सुनाई। न्यायाधीश ने अपील की अनुमति देने के लिए सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया है।

बता दें कि पूर्व IPS संपत कुमार, साल 2013 में तमिलनाडु पुलिस में CID के अफसर थे। उस समय में उन्होंने IPL सट्टेबाजी मामले की प्रारंभिक जांच की थी। साथ ही उन पर सट्‌टेबाजों को छोड़ने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा था। इसलिए उन्हें केस से हटा दिया गया था।