नई दिल्ली/डेस्क: हाल ही में चीन ने अपना फर्जी नक्शा पूरी दुनिया के सामने उजागर किया, चीन ने सोचा कि इतना पैसा होने के बाद पूरी दुनिया हमारे सामने झुक जाएगी, लेकिन चीन को हार का सामना करना पड़ा।
वियतनाम, भारत और जापान सहित 10 आसियान देशों ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया। हालांकि, हैरानी की बात ये है कि इसी नक्शे में चीन ने रूस के हिस्से पर भी दावा किया था, लेकिन दुनिया के सबसे खतरनाक नेता माने जाने वाले पुतिन ने इसे लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई।
पुतिन की मजबूरी, बन रहे शी जिनपिंग के करीबी!
नाटो (NATO) के विस्तार को लेकर जहां पुतिन ने यूक्रेन पर हमला बोला है, वहीं चीन की इस नापाक हरकत पर पुतिन ने चुप्पी साध रखी है। इससे साफ पता चलता है कि पुतिन शी जिनपिंग के सामने झुक गए हैं, पुतिन ने शी जिनपिंग को अपना मालिक मान लिया है, क्योंकि जहां दूसरे देश चीन के सामने नहीं झुके, वहीं, पुतिन ने पैसों के नाम पर अपना जमीर बेच दिया है।
चीन ने सोचा था कि वह भारत के साथ भी ऐसा ही करेगा, लेकिन चीन भूल गया कि यह रूस नहीं है, यह भारत है, वह न तो झुकेगा और न ही किसी के दबाव में आएगा।
चीन भूल गया है कि, भारत की सत्ता, इस समय प्रधानमंत्री मोदी के हाथों में है, जिनका नाम सुनते ही पाकिस्तान जैसा देश कांपने लगता है। और भारत ने हमेशा चीन को कड़ी टक्कर दी है, चाहे डोकलाम हो या गलवान, चीन ने हमेशा मुंह की खाई है।
भारत ने चीन को याद दिलाई उसकी औकात
18वें जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका, बांग्लादेश, फ्रांस और जापान समेत करीब 15 जी-20 नेताओं और आमंत्रितों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे, लेकिन चीन इस मोर्चे पर अलग-थलग रह सकता है।
फिलहाल पीएम मोदी की चीन के साथ किसी मुलाकात की कोई योजना नहीं है। चीन की ओर से प्रधानमंत्री ली कियांग जी-शिखर सम्मेलन में आएंगे। और ये उनका पहला भारत दौरा होगा।
G-20 में भी चीन पड़ेगा अलग-थलग!
आपको बता दें कि, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अपने प्रधान मंत्री को नियुक्त किया है। द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट के कारण जिनपिंग ने इस वैश्विक सम्मेलन में भाग नहीं लिया। तीन दिनों के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत दौरे पर आने वाले चुनिंदा नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।
साथ ही, आज रात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता होनी है। लेकिन, तीन दिनों के अंदर चीनी प्रधानमंत्री के साथ एक भी द्विपक्षीय वार्ता तय नहीं है, ऐसे में चीन अलग-थलग पड़ सकता है।
चीनी पीएम, ली, भले ही शी जिनपिंग के विश्वासपात्र हों, लेकिन, भारत समेत अंतरराष्ट्रीय जगत में उनकी लोकप्रियता बहुत कम है। क्योंकि चीनी अर्थव्यवस्था को संभालने वाले ली ने अभी तक जियो पॉलिटिक्स में कोई खास छाप नहीं छोड़ी है।
लेखक: करन शर्मा