PM मोदी ने बिछाया जाल, शी जिनपिंग का हुआ बुरा हाल!

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नई दिल्ली/डेस्क: जी20 शिखर सम्मेलन में भारत एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका, बांग्लादेश, फ्रांस और जापान समेत करीब 15 जी-20 नेताओं और आमंत्रितों के सामने भारत की महिमा का प्रदर्शन किया है, लेकिन चीन इस मोर्चे पर अलग रह सकते हैं। फिलहाल चीन के साथ पीएम मोदी की किसी भी तरह की मुलाकात की कोई योजना नहीं है.

इस सम्मेलन का मुख्य आकर्षण यह है कि इसमें दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भाग ले रहे हैं। अब भारत इस मौके पर चीन को घेरने की योजना बना रहा है।

भारत बनेगा ‘ग्लोबल साउथ’ का लीडर

भारत का लक्ष्य अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल करना है, जिसके लिए भारत काफी समय से प्रयास कर रहा था। अफ्रीकी संघ के लिए G20 में शामिल होने का रास्ता अब साफ़ होता दिख रहा है, क्योंकि अफ्रीकी संघ के सदस्य देशों ने इसे स्वीकार कर लिया है। इससे भारत ‘ग्लोबल साउथ’ का लीडर बन जाएगा, जिसके बारे में चीन भी सोच रहा है।

क्या है अफ्रीकी संघ (African Union)?

यूरोपीय संघ की तरह अफ्रीकी संघ एक ऐसा संगठन है जिसमें अफ्रीकी के 55 देश शामिल हैं और इसका उद्देश्य अफ्रीकी देशों के बीच एकता और विकास को प्रोत्साहित करना है। इसके तहत यह सुनिश्चित करने का काम किया जाता है कि अफ्रीकी महाद्वीप में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे और आर्थिक विकास हो।

तो ‘ग्लोबल साउथ’ एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, एशिया और ओशिनिया के देश शामिल हैं, और भारत, चीन और ब्राजील इसके प्रमुख खिलाड़ी हैं। इसका मतलब ये है कि इन देशों का दुनिया पर प्रभाव होना चाहिए. भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ में अपना नेतृत्व बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

चीन को घेरने की बनाई नई स्ट्रॅटर्जी

भारत के इस प्रयास से भारत को अफ्रीकी देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने में मदद मिलेगी। चीन ने अफ्रीकी देशों में भी निवेश किया है, लेकिन इसके पीछे का मकसद अलग है।

दोनों देश अफ्रीकी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और भारत का अफ्रीकी संघ को जी20 में शामिल करना ‘ग्लोबल साउथ’ में अग्रणी बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस तरह भारत ने चीन के खिलाफ अहम जीत हासिल की है.

G20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से, भारत ने अपनी विदेश नीति को दृढ़ता से व्यक्त किया है और चीन के साथ अपने प्रतिस्पर्धी दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है।

लेखक: करन शर्मा