Govardhan Puja: गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, और हरियाणा में मनाया जाता है. यह दीपावली के अगले दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है, जिन्होंने इंद्र देव द्वारा भेजे गए प्रचंड बारिश से वृंदावन के लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था.
गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व?
बता दें कि गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने और गोकुलवासियों की रक्षा करने की कहानी को जीवंत करती है. यह घटना आस्था और भक्ति की जीत का प्रतीक है, जिसमें इंद्र देव का अभिमान भगवान कृष्ण ने विनम्रता से तोड़ा. श्रीकृष्ण ने लोगों को प्रकृति का सम्मान करने और पर्यावरण की रक्षा करने का संदेश दिया, जो गोवर्धन पूजा के माध्यम से भी प्रकट होता है। इस दिन, प्रकृति, कृषि और गौ-रक्षा का विशेष महत्व होता है.
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त?
गोवर्धन पूजा के लिए प्रातःकाल मुहूर्त को विशेष रूप से शुभ माना जाता है. यह समय सुबह की शुरुआत का प्रतीक है, जो शुद्धता और नए आरंभ का संदेश देता है। पूजा का सबसे उत्तम समय प्रातः या दोपहर के दौरान, प्रतिपदा तिथि में होता है.
गोवर्धन पूजा के दौरान क्या करें और क्या न करें?
क्या करें
- विभिन्न शाकाहारी पकवानों का भोग तैयार करें और इसे अन्नकूट के रूप में भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम और श्रद्धा के साथ अर्पित करें.
- अगर संभव हो, तो प्रकृति, पर्यावरण का सम्मान करें और पशुओं (गाय) को खाना खिलाएं या जरूरतमंदों को भोजन का दान करें.
- भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें की उनकी कृपा से सबकी सुरक्षा, समृद्धि और शांति की कायम रहे.
- दियों का प्रकाश जारी रखें क्योंकि यह दीवाली के अंग के रूप में घर में रोशनी और सकारात्मकता लाता है.
क्या न करें
- मांसाहारी भोजन और शराब से परहेज करें– गोवर्धन पूजा एक धार्मिक अवसर है, इसलिए संयम बनाए रखें.
- भोजन बर्बाद न करें– भोग में केवल आवश्यक भोजन तैयार करें, और बचे हुए भोजन को दूसरों के साथ साझा करें, जिससे अन्नकूट का महत्व और दान की भावना बनी रहे.
- प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करें– सजावट में प्लास्टिक या सिंथेटिक वस्तुओं का उपयोग करने से बचें और पर्यावरण का सम्मान करें.