हाथरस में हुई भगदड़ को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार

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Hathras Stampede Incident: सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें 2 जुलाई को हाथरस में हुई भगदड़ की घटना (जहां 2 जुलाई को 100 से अधिक लोग मारे गए थे) की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की देखरेख में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह एक परेशान करने वाली घटना है लेकिन वह इस मामले पर विचार नहीं कर सकती और उच्च न्यायालय ऐसे मामलों से निपटने के लिए मजबूत अदालतें हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अपनी याचिका लेकर हाई कोर्ट जाने को कहा।

क्या है पूरा मामला?

2 जुलाई मंगलवार को हाथरस जिले के फुलराई गांव में भोले बाबा का प्रवचन कार्यक्रम चल रहा था। समापन के बाद वहां अचानक भगदड़ मच गई। जिसके बाद कार्यक्रम में शामिल होने आए करीब 121 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे पर पीएम मोदी, सीएम योगी ने दुख जताते हुए मृतक परिवार को 2-2 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया। वहीं 3 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस पहुंचकर पीड़ितों और मृतक के परिवारों से मुलाकात की। हादसे के बाद न्यायिक जांच का ऐलान कर न्यायिक आयोग का गठन किया गया। 4 जुलाई को एफआईआर में नामजद 6 आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया। 5 जुलाई को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाथरस पहुंचकर ड़ितों और मृतक के परिवारों से मुलाकात की। साथ ही राहुल गांधी ने सरकार से मुआवजा बढ़ाने और निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई करने के लिए आग्रह किया। 6 जुलाई को तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग हाथरस पहुंचा। मुख्य आरोपी बनाए गए आयोजक देव प्रकाश प्रभाकर के साथ 3 और आरोपियों को उस दिन गिरफ्तार किया गया।

लेखक-प्रियंका लाल