नई दिल्ली/डेस्क: राहुल गांधी को 2 साल की सजा मिलने के बाद जिस रफ्तार से उनकी सदस्यता गई थी, दोषसिद्धि पर रोक के बाद उसी रफ्तार से उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई.
अभी तक BJP के खिलाफ सिर्फ मणिपुर हिंसा बड़ा मामला था, अविश्वास प्रस्ताव को भी PM मोदी अपने भाषण से साध सकते थे, लेकिन अब उन्हें राहुल गांधी को सुनना पड़ेगा और पूरा देश भी सुनेगा, राहुल गांधी विपक्ष के पहले नेता थे जो सबसे पहले मणिपुर गए थे, इसके अलावा वो अडाणी जैसे मुद्दे दोबारा उठा सकते हैं, ये बात BJP को परेशान करने वाली साबित होगी.
BJP और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी का जिस तरीके से हर स्तर पर विरोध किया और घेरा, इससे राहुल की इमेज मजबूत होती हुई नज़र आई, भारत जोड़ो यात्रा के बाद वह राष्ट्रीय स्तर पर बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं. वहीं मणिपुर में बदहाल स्थिति ओर नूंह में हिंसा के बाद राहुल के मोहब्बत की दुकान जैसे नैरेटिव को पुश मिला है और विपक्ष को भी इसी तरह के मुद्दे का इंतजार था.
राहुल गांधी ने धैर्य के साथ पूरे ज्यूडिशियल प्रोसेस का पालन किया, नोटिस में तय तारीख से पहले शालीनता से अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया, लोकसभा सदस्यता जाने पर भी ज्यादा हंगामा नहीं किया, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलना उनकी नैतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है.
लेखक: इमरान अंसारी