नहीं रुकी ईरान-पाक की जंग, तो क्या रूस-यूक्रेन युद्ध जैसा होगा हाल ?

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नई दिल्ली/डेस्क: ईरान और पाकिस्तान ने एक दूसरे के इलाक़े में इस हफ़्ते हवाई हमले किए और कम से कम 11 लोग मारे गए. इन हमलों से दोनों पड़ोसियों के संबंध में जटिलता और बढ़ गई है. ईरान और पाकिस्तान की सीमा पर विद्रोही गुटों की मौजूदगी से दोनों देशों के संबंधों में तनातनी रहती है.

पश्चिम एशिया में इस समय दो युद्धक्षेत्र हैं, जो पूरे क्षेत्र की शांति के लिए खतरा हैं. अगर इन पर काबू नहीं पाया गया तो यह एक बड़े संघर्ष में बदल सकते हैं. सबसे पहला संघर्ष हमास और इजरायल का है. वहीं दूसरा फ्रंट पाकिस्तान और ईरान के बीच खुल चुका है. दोनों ही देशों ने एक दूसरे की सीमा में मिसाइल दागे. दोनों ने एक दूसरे को आतंकियों को न रोक पाने में विफलता का आरोप लगाया है. ईरान ने सुन्नी आतंकी समूह जैश-अल अदल को रोकने में विफलता का आरोप लगाते हुए इस सप्ताह की शुरुआत में पाकिस्तान पर हमला किया.

हमले में हुई मौत

पाकिस्तान का कहना है कि ईरान के हमले के दो बच्चों की मौत हुई है. उसने ईरान को धमकी देते हुए कहा कि ईरान को हमले के गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. वहीं, पाकिस्तान के हमलों को लेकर ईरान की मीडिया कह रही है कि सिस्तान बलूचिस्तान में कई मिसाइलें गिरी हैं जिसमें तीन महिलाओं और चार बच्चों की मौत हुई है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ईरानी मीडिया का कहना है कि मारे जाने वाले लोग ईरान के नागरिक नहीं थे.

ईरान ने पाकिस्तान पर हमला करने से ठीक एक दिन पहले सोमवार को इराक और सीरिया पर हमला किया था. अपने हमले का बचाव करते हुए ईरान ने कहा था कि उसने इराक पर सीरिया पर हमला इसलिए किया ताकि इन दोनों देशों की जमीन से उसके खिलाफ ऑपरेट करने वाले आतंकियों को सजा दी जा सके.

भारत का क्या कहना है ?

लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमलों ने भारत समेत कई देशे के लिए आर्थिक और राजनीतिक चिंताएं बढ़ा दी हैं. इन्हें ईरान से समर्थन मिलता है. पहले भी हूती विद्रोहियों की ओर से जहाजों पर हमले किए जाते रहे हैं. अमेरिका और ब्रिटेन मिलकर हूतियों पर हमले भी कर रहे हैं और अगर यह तेज होता है, तो ईरान के साथ भी संघर्ष शुरू हो सकता है. हालांकि ईरान ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की यात्रा के दौरान कहा था कि उसका हूतियों पर बेहद कम नियंत्रण है.

लेखक: इमरान अंसारी