Mahant Raju Das controversies: क्या वाकई राजू दास नहीं हैं महंत, तो कौन हैं हनुमानगढ़ी के महंत ? जानिए…

Published

Mahant Raju Das controversies: हाल ही में अयोध्या के डीएम नीतीश कुमार के साथ हॉट-टॉक के चलते चर्चा में आए महंत राजू दास पर अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई में राजू दास, महंत नहीं… अगर नहीं हैं, तो फिर हनुमानगढ़ी के महंत कौन हैं? बता दें कि हनुमानगढ़ी, अयोध्या में स्थित एक प्रमुख और ऐतिहासिक मंदिर है, जो भगवान हनुमान को समर्पित है। इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है और इसके संचालन में चार प्रमुख पट्टियां हैं, जिनमें उज्जैनिया, वराहक्षेत्र, नरसिंहकुंड, और गणेश कुंड का नाम शामिल है। प्रत्येक पट्टी का मंदिर की प्रबंधन और पूजा व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। अब बात उठ रही है कि हनुमानगढ़ी के महंत कौन हैं? चलिए जानते हैं…

कौन हैं हनुमानगढ़ी के महंत?

हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रमुख महंत के रूप में महंत प्रेमदास जी महाराज का नाम लिया जाता है। वह इस मंदिर के गद्दीनशीन हैं, जो हनुमानगढ़ी के प्रमुख पद पर आसीन हैं। यह पद एक उच्चतम धार्मिक और प्रबंधकीय पद है, जिसे आमतौर पर मंदिर के संचालन और धार्मिक अनुष्ठानों की देखरेख करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

गद्दीनशीन से जुड़ी है एक मान्यता!

बता दें कि हनुमानगढ़ी एक पंजीकृत पंचायती संस्था है। यह हनुमनागढ़ी अखिल भारतीय श्री पंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़े का मुख्यालय है, जो हिन्दू समाज के तीन प्रमुख वैष्णव अखाड़ों में से एक है। जहां कम से कम 500 साधु हैं और हनुमानगढ़ी की चार पट्टियों के अंतर्गत नागा साधु रहते हैं। इससे जुड़ी एक मान्यता है कि हनुमान गढ़ी के गद्दीनशीन बनने के बाद जीते जी सामान्यतया वे बाहर नहीं जाते। एकाध बार तो अदालत में केस होने की स्थिति में अदालत को भी हनुमानगढ़ी ही लाना पड़ा था। बहुत अपरिहार्य हो, तो बाहर निकलने के लिए पंचायत की अनुमति लेनी होती है।

कौन हैं राजू दास और क्या है उनकी भूमिका?

राजू दास हनुमानगढ़ी के महंत नहीं हैं, बल्कि वह उज्जैनिया पट्टी के एक साधारण साधु हैं। उज्जैनिया पट्टी के महंत संतराम दास जी हैं, और राजू दास उनके शिष्य हैं। महंत संतराम दास जी का मंदिर में महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन राजू दास इस पट्टी के साधुओं में से एक हैं। बात दें कि संतराम दास जी के बाद इस पट्टी की महंती इसी पट्टी के किसी अन्य घराने के संत के पास सबकी सहमति से जाएगी। लेकिन उसमें भी राजू दास का नाम आने की कोई संभावना नहीं है। राजू दास हनुमानगढ़ी में ऊपर जिस कमरे में अक्सर बैठते हैं वह कमरा उज्जैनिया पट्टी के महंत का बरसों से रहा है। इसलिए राजू दास संत तो हैं, लेकिन वो महंत नहीं हैं और हनुमानगढ़ी के तो बिल्कुल नहीं।

राजू दास को क्यों लिखते हैं महंत?

कुछ मीडिया संस्थान राजू दास को हनुमानगढ़ी का मुख्य पुजारी लिखते हैं, जो सही नहीं है। दरअसल, हनुमान जी महराज की पूजा आदि करने की एक व्यवस्था है। हनुमान गढ़ी की चार पट्टियों में से एक एक का क्रम बना होता है। आमतौर पर हर पट्टी को 4 महीने का समय पूजा करने को मिलती है। इसे ओसरा कहा जाता है। इन चार महीनों में उस पट्टी द्वारा आरती आदि के लिए शिक्षित अपनी पट्टी के साधुओं को नियुक्त किया जाता है। ओसरा पूरा होने के बाद अगली पट्टी का नम्बर आता है। ऐसे ही क्रम चलता रहता है। अतः आपको बता दें कि हनुमानगढ़ी पर रामजन्मभूमि जैसी मुख्य पुजारी जैसी व्यवस्था नहीं है।