यूपी के सबसे पिछड़े गांव की तस्वीर देखनी है तो 125 साल पुराने हरदतपुर को देखों, जहां आज भी सड़के नहीं हैं!

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वाराणसी: आजादी के 78 सालों में देश में बहुत कुछ बदल चुका है। रोटी, कपड़ा और मकान से ऊपर उठकर देश अब चांद पर पहुंच चुका है। कोयला और डीजल से चलने वाली ट्रेनें अब स्मार्ट हो चुकी हैं। कीचड़ और ईंटों से बनी गड्ढे वाली सड़कें अब एक्सप्रेस-वे में परिवर्तित हो चुकी हैं। लेकिन इस विकासशील देश में अगर कुछ नहीं बदला है, तो वह है हरदतपुर गांव। एक ऐसा गांव जो पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आता है, लेकिन उसके हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं। क्योंकि आज भी हरदतपुर में सड़कें और अंडर पास नहीं हैं। लगभग 800 लोगों की आबादी वाला यह गांव अपने घर के जाने वाले रास्तों तक के लिए तरस रहा है। इसका मुख्य कारण पीएम मोदी की महत्वकांक्षी योजनाओं पर पलीता लगाने वाले शासन और प्रशासन के लोग हैं, जो विकास के नाम पर सिर्फ और सिर्फ अपनी जेबे भरने में लगे हैं।

जान हथेली पर रखकर पहुंचते हैं अपने घर!

लेकिन इस गांव और गांव में रहने वाले लोगों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है। इसी पीड़ा को सुनने और समझने न्यूज़ इंडिया की टीम जब हरदतपुर गांव पहुंची, तो ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा सुनाई भी और दिखाई भी। यहां पर रहने वाले लोगों का कहना है कि गांव के मुख्य द्वार यानी प्रमुख मार्ग पर रेल की पटरी गुजर रही है और उसको पार करने के लिए कोई अंडर पास या ओवर ब्रिज नहीं है। जिसके कारण यहां रहने वाले लोगों को अपने घरों तक पहुंचने के लिए रेल की पटरी को अपनी जान हथेली पर रखकर जाना पड़ता है। वहीं, अगर कोई बीमार हो जाए या किसी गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाना पड़े, तो यहां पर एंबुलेंस तक नहीं पहुंच सकती है।

मरीजों और गर्भवती महिलाओं के लिए अभिशाप है ये गांव!

ग्रामीणों का कहना है कि जब भी कभी इस तरह की समस्या होती है, तो खाट पर लेटाकर मरीज को रेलवे लाइन से पार करते हैं और फिर अस्पताल ले जाते हैं। वहीं, कुछ ग्रामीणों का कहना है कि गांव में बेटियों की शादी के लिए भी काफी दिक्कत होता है। जब भी कोई रिश्तेदार बेटी को देखने के लिए आता हैं, तो यह कहकर शादी टाल देता है कि घर जाने का कोई रास्ता नहीं है। अगर कभी किसी की शादी सहयोग वंश हो जाए, तो दूल्हे को दूसरी तरफ रोकना पड़ता है और रेलवे लाइन पार कर महिलाएं दूल्हे का परछन करने के लिए जाती हैं।

बच्चे जान हथेली पर रखकर जाते हैं गांव!

यहां तक कि बच्चों को अगर स्कूल जाना है तो रेलवे लाइन पार करके ही वह स्कूल जाते हैं। कभी अगर ट्रेन आ गई तो उनका स्कूल जाने में भी देर हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बाबत शासन से लेकर प्रशासन तक अवगत कराया गया, लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।

125 सालों के बाद भी नहीं पहुंचा विकास!

गांव वालों ने सवाल पूछते हुए कहा कि 125 वर्ष पुराना हरदतपुर गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं है, जब चुनाव आता है तो विधायक से लेकर के मंत्री तक गांव में आते हैं और आश्वासन देखकर चले जाते हैं। समय बीत जाने के बाद पलट कर ना तो विधायक आते हैं और ना ही मंत्री, रेलवे लाइन के नीचे एक छोटा सा नाल है, जिससे बरसात का पानी निकलता है गर्मी में सूखा रहता है तो हम लोग झुक कर उसी से एक तरफ से दूसरे तरफ जाते हैं। लेकिन बरसात में वह भी भर जाता है। रेलवे लाइन की पटरी पार करते समय कई हादसे हो गए, लेकिन फिर भी इस पर किसी का ध्यान नहीं गया ।