G-20 में अमेरिका और सऊदी की भारत से कैसे होगी डील?

Published

नई दिल्ली/डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जी20 सम्मेलन के लिए भारत आ रहे हैं, वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ भी बातचीत कर सकते हैं।

बाइडेन, वाशिंगटन को जी20 में विकासशील देशों, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक वैकल्पिक भागीदार और निवेशक के रूप में पेश कर रहे हैं। इसमें बहु-देशीय बुनियादी ढांचों पर होने वाले सौदों की चर्चा भी शामिल है, जिससे व्यापार, तेज और सस्ता हो सकता है।

बाइडेन का पहला भारत दौरा

यह जो बाइडेन का पहला भारत दौरा है, जबकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2020 में भारत का दौरा किया था। इससे पहले, बीते 3 महीनों में, प्रधानमंत्री मोदी के राजनयिक दौरे के दौरान, जो बाइडेन ने उनके लिए व्हाइट हाउस में एक खास डिनर आयोजित किया था। इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका के रिश्तों को और मजबूत बनाने के बारे में चर्चा की।

G-20 में क्या होगा?

इस मीटिंग में, स्वच्छ ऊर्जा, व्यापार, उच्च-प्रौद्योगिकी, और रक्षा जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच जारी द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा होने की उम्मीद है। इसके साथ ही, वे यह भी चर्चा कर सकते हैं कि दोनों देश विश्व की कुछ गंभीर चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे और किस प्रकार योगदान दे सकते हैं।

वीजा व्यवस्था पर भी चर्चा की जा सकती है, जिसमें दोनों देशों के बीच वीजा की प्रक्रिया को और उदार बनाने के संबंध में विचार-विमर्श किया जा सकता है।

क्या है G20 महत्वपूर्ण?

जी-20 समूह के सदस्य देश वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं। इस समूह में जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इटली, रूस, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।

अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, सऊदी अरब, भारत और अन्य देश संभावित बुनियादी ढांचे के सौदे पर चर्चा कर रहे हैं, जो खाड़ी और दक्षिण एशिया के बीच व्यापार को फिर से व्यवस्थित करने के अलावा, मध्य पूर्वी देशों को रेलवे से जोड़ सकता है और बंदरगाह द्वारा भारत से जोड़ सकता है।

लेखक: करन शर्मा

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *