India Tops in Defense Exports: भारत का रक्षा निर्यात (Defense Export) पिछले दशक में 30 गुना से अधिक बढ़ गया है, और वर्तमान में भारत वैश्विक स्तर पर 90 से अधिक देशों को हथियारों और रक्षा उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है। रूस-यूक्रेन और इजरायल-हामास युद्ध के कारण कई देशों ने अपने शस्त्रागार को बढ़ाने का प्रयास किया है, जिससे भारत के रक्षा निर्यात में और अधिक इजाफा हुआ है।
अमेरिका: भारत का सबसे बड़ा रक्षा ग्राहक
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा निर्यातक है, जो भारतीय रक्षा निर्यात का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा है। अमेरिका की कंपनियां अब अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) और ऑफसेट प्रतिबद्धताओं के हिस्से के रूप में भारत से सालाना एक अरब डॉलर से अधिक मूल्य के रक्षा सामान खरीदती हैं। भारतीय रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2024-2025 की पहली तिमाही में निर्यात में 78 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज की गई है। अप्रैल से जून 2024 के बीच रक्षा निर्यात 3,885 करोड़ रुपये से बढ़कर 6,915 करोड़ रुपये हो गया है।
वृद्धि के कारण और वैश्विक प्रभाव
हिंदुस्तान ने अपने रक्षा निर्यात को बढ़ाने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए हैं और प्राइवेट कंपनियों को आसानी से लाइसेंस जारी करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर अपने हथियारों के निर्यात को बढ़ावा दिया है। सरकार गरीब देशों को आसान ऋण भी मुहैया करा रही है, जिससे भारत के रक्षा निर्यात को और बल मिल रहा है।
भारत क्या बेच रहा है?
भारत का रक्षा निर्यात विस्तृत है और इसमें गोला-बारूद, छोटे हथियार (स्नाइपर राइफल, स्पेशल साइट सिस्टम), बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट, इलेक्ट्रॉनिक सामान, बख्तरबंद वाहन, हल्के टॉरपीडो, सिमुलेटर, ड्रोन, और तेज हमला करने वाले जहाज शामिल हैं।
मुख्य खरीदार देश
- म्यांमार: पारंपरिक रूप से भारतीय रक्षा निर्यात का बड़ा गंतव्य।
- इजरायल: साइट सिस्टम, ड्रोन और उनके पार्ट्स के अलावा भारत में मौजूद ज्वाइंट वेंचर में बने हथियार खरीदता है।
- फिलीपींस: ब्रह्मोस मिसाइल के लिए भारत के साथ डील की है।
- आर्मेनिया: आर्टिलरी गन और एयर डिफेंस सिस्टम के निर्यात के सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस प्रकार, भारत का बढ़ता रक्षा निर्यात न केवल देश की आर्थिक ताकत को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करता है।