कारगिल युद्ध में गोरखाओं ने अहम भूमिका निभाई थी
नई दिल्ली: भारत के इतिहास में कारगिल युद्ध का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें भारतीय सेना के वीर योद्धाओं ने देश के लिए अपनी जान की लड़ाई लगा दी थी। और गोरखाओं ने भी अहम भूमिका निभाई थी।
खलुबार पहाड़ियां, जो जम्मू और कश्मीर के राजोरी जिलों में स्थित हैं, 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान विवादित स्थान बने थे।पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों ने इन पहाड़ियों का अतिक्रमण किया था। इस घातक स्थिति के सामने भारतीय सेना ने गोरखा रेजिमेंट की मदद ली, जो इस संघर्ष में अपनी वीरता और लड़ाकू क्षमता के लिए प्रसिद्ध थी।
गोरखा रेजिमेंट ने पाकिस्तान को दिया था खदेड़
गोरखा रेजिमेंट के बहादुर सैनिक ने खलुबार पहाड़ियों के अतिक्रमियों के खिलाफ साहस और संकल्प के साथ लड़ाई शुरू की। इनके शौर्य और संघर्षशीलता ने दुश्मन को पहाड़ियों से बाहर धकेल दिया। गोरखा सैनिकों के अद्भुत युद्ध कौशल और अदाकारी के कारण पाकिस्तान के समर्थित आतंकवादी फौजियों को भारतीय सेना ने पूरी तरह से परास्त कर दिया।
भारत नेपाल के रिश्तों में नहीं हो रहा सुधार
ब्रिटिश साम्राज्य के समय में गोरखा सैनिकों की शानदार लड़ाकू क्षमता को देखते हुए भारतीय सेना में शामिल किया गया था। ये साहसी, सशक्त और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। गोरखाओं के सैन्य कौशल, साहस और वफादारी के कारण इन्हें देश के प्रतीक के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।
लेकिन भारत ने नेपाल के साथ चल रहे संबंधों के उतार-चढ़ाव के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। जिसके अनुसार अब नेपाल के नागरिकों को भारतीय सेना में भर्ती नहीं किया जाएगा।
इस फैसले के बाद भारत में नेपाल के राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने सोमवार को कहा कि वास्तव में भारत ने अग्निपथ योजना के तहत भर्ती की एक नई प्रणाली विकसित की है, लेकिन नेपाल भर्ती के लिए पुरानी प्रणाली का उपयोग करना चाहता है, जिसके कारण दोनों देशों ने ऐसा नहीं किया है।
यहां तक कि उनके बीच बातचीत भी नहीं हुई। हालांकि, भारत ने इस फैसले का कोई खास कारण नहीं बताया है। लेकिन कहीं न कहीं भारत इसके जरिए नेपाल को संदेश देने की कोशिश कर सकता है, ताकि नेपाल अपने रवैये में सुधार लाए और चीन के साथ रिश्ते सीमित रखे।
भारतीय सेना अब तक गोरखा सैनिकों की भर्ती करती रही है। भारतीय सेना में एक अलग से गोरखा रेजिमेंट है, जो भारत और नेपाल के बीच के पुराने संबंधों और विश्वास का प्रतीक है। हालांकि, अब भारत ने नेपाली सैनिकों की अग्निवीर योजना के तहत भर्तियों को बंद कर दिया है, जिससे नेपाल के होश उड़ना तय है।
रिपोर्ट: करन शर्मा