नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुधवार को सेना में तीन चरणों में संयुक्तता बढ़ाने की रणनीति को प्रस्तुत किया है. यह कदम थियेटराइजेशन मॉडल की दिशा में है, जो सेना के संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय से अपेक्षित सुधार है. बता दें कि थियेटराइजेशन का उद्देश्य सेना के संसाधनों का संयुक्त और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करना है ताकि भविष्य के युद्धों के लिए सेना तैयार रहे.
क्या होता है थियेटराइजेशन?
बता दें कि थियेटराइजेशन का मतलब है युद्ध और ऑपरेशन के दौरान अपने संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए सेना, वायु सेना और नौसेना की क्षमताओं का एकीकरण या जॉइंटनेस होता है. इस अवधारणा में विशिष्ट थिएटर कमांड या इकाइयों की स्थापना शामिल है जिन्हें थिएटर कमांडर की कमान के तहत रखा जाता है.
तीन चरणों में होगा जॉइंटनेस का विस्तार
जॉइंटनेस 1.0: इस चरण में खरीदारी योजना, पाठ्यक्रम और संयुक्त लॉजिस्टिक नोड्स का एकीकरण किया गया. तीन नोड्स पूरी तरह से संचालित हैं और चार पर काम चल रहा है.
जॉइंटनेस 2.0: इसमें डोक्ट्राइन, SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) का मिलान और बड़े प्लेटफॉर्म्स के लिए संयुक्त मेंटेनेंस संगठन का निर्माण हुआ.
जॉइंटनेस 3.0: इस चरण में साझा संचालन योजना, तकनीकी संसाधनों और UAVs व ISR जैसी तकनीकों का आदान-प्रदान किया जाएगा. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को भी शामिल करने का प्रयास जारी है.
180 क्षेत्रों में से 30% कार्य पूरा
सेना प्रमुख के अनुसार, संयुक्तता के लिए लगभग 180 क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें से 30% लक्ष्य पूरे किए जा चुके हैं. क्योंकि नई थियेटराइजेशन योजना में चीन-केंद्रित उत्तरी कमांड (लखनऊ), पाकिस्तान-केंद्रित पश्चिमी कमांड (जयपुर), और समुद्री कमांड (तिरुवनंतपुरम) स्थापित करने की योजना है. साथ ही सेना अपने संरचनात्मक बदलाव ‘रीबल 1.5’ और ‘रीबल 2.0’ के जरिए कमांड और प्रशिक्षण को मजबूत कर रही है. जिसके लिए सेना ने साइबर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, और खुफिया इकाइयों का भी विस्तार किया है.
उन्नत तकनीक और आधुनिक हथियारों से लैस सेना
भविष्य के संघर्षों के लिए सेना ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 5G, मशीन लर्निंग और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करना शुरू किया है. इसके अलावा, युद्ध में सटीक हमले और सुरक्षित पोस्ट-स्ट्राइक मूल्यांकन के लिए आधुनिक हथियारों पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. जिसके लिए सेना ने लॉजिस्टिक ड्रोन और रोबोटिक म्यूल्स के उपयोग से अपनी आपूर्ति क्षमता को मजबूत किया है. यह त्री-सेवा अप्रोच का हिस्सा है, जो इन्वेंट्री प्रबंधन को और अधिक कुशल बनाता है.
इस तरह की योजना भारतीय सेना को भविष्य के चुनौतीपूर्ण युद्धों के लिए तैयार कर रही है, जिसमें विभिन्न प्रकार की युद्धक्षमताओं का विकास और प्रभावी सामूहिकता का उपयोग शामिल है. क्योंकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में संयुक्त दृष्टिकोण पर बल देते हुए सेना को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार होने का संदेश दिया. जिसका असर अब दिख भी रहा है.