Irani-Israel War: ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने दी इजरायल को कड़ी चेतावनी; कहा- “जरूरत पड़ी तो फिर से करेंगे हमला”

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Irani-Israel War: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में एक कड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर जरूरी हुआ, तो ईरान फिर से इजरायल पर हमला कर सकता है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ईरान और इजरायल के संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। हाल ही में ईरान ने इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलें दागी थीं, जिसके बाद क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है।

फिलिस्तीनी अधिकारों की रक्षा पर जोर

अपने बयान में खामेनेई ने यह भी कहा कि हर देश को आक्रमणकारियों से अपनी भूमि की रक्षा करने का अधिकार है, और इसी अधिकार के तहत फिलिस्तीनी लोग अपनी भूमि पर अपना अधिकार जताने का हक रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह तर्क अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा भी मान्य है। इसके साथ ही, खामेनेई ने उन देशों और संगठनों की प्रशंसा की जो फिलिस्तीनी लोगों का समर्थन कर रहे हैं।

“ईरान ने इजरायल पर कम कहर बरपाया”

खामेनेई ने ईरानी सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन “सच्चा वादा 2” का समर्थन करते हुए इसे “कानूनी और वैध” करार दिया। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर ईरान इस तरह की कार्रवाई फिर से कर सकता है। खामेनेई ने कहा कि ईरान ने अब तक इजरायल के खिलाफ बहुत ही कम कहर बरपाया है, और भविष्य में स्थिति के अनुसार ईरान और कठोर कदम उठा सकता है।

मिडिल ईस्ट में जंग का हाल

मिडिल ईस्ट में हमास और इजरायल के बीच छिड़ी जंग को एक साल पूरा होने वाला है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर एक बड़े हमले की शुरुआत की थी, जिसके बाद गाजा, लेबनान और वेस्ट बैंक भी इस संघर्ष में शामिल हो गए। ईरान, हिज्बुल्लाह, और हूती जैसे संगठन भी इस जंग में हमास के समर्थन में खड़े हुए हैं।

इजरायल ने इन संगठनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की है, जिसमें हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। इस समय इजरायल लेबनान में भी सक्रिय रूप से अपनी सैन्य कार्रवाई चला रहा है और कई लेबनानी गांवों को खाली कराने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, गाजा में भी इजरायली हवाई हमलों में कई मस्जिदों और अन्य इमारतों को निशाना बनाया गया है, जिससे सैकड़ों लोग मारे गए हैं।

भविष्य में बिगड़ सकते हैं हालात

मिडिल ईस्ट की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है, और ईरान के इस ताजा बयान के बाद क्षेत्रीय तनाव और भी बढ़ने की संभावना है। ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष का असर न केवल इन दोनों देशों पर बल्कि पूरे क्षेत्र पर हो सकता है।