ISRO ने चंद्रयान 3 की लैंडिंग के साथ रचा इतिहास, जश्न में डूबा पूरा देश

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Image Source: ISRO

नई दिल्ली/डेस्क: भारत के चंद्रयान-3 ने तमाम कठनाइयों का सामना करते हुए चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड कर लिया है। इस 40 दिन के सफर के बाद, जब चंद्रयान-3 चांद पर आया, तो पूरे देश खुशी के माहौल में डूब गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को बधाई देते हुए इस ऐतिहासिक क्षण के लिए देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। चंद्रयान-3 के ‘ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस’ की शुरुआत होते ही इस ऐतिहासिक पल पर पूरी दुनिया की नजरें थीं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुरू होने वाले इस 40 दिन के सफर के बाद, चंद्रयान-3 मिशन को पूरा कर लिया गया है। 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की।

चंद्रयान-3 मिशन 2019 के चंद्रयान-2 मिशन के आगे का हिस्सा है, जब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर समस्याओं का सामना कर गया था। इस मिशन के सफलता के साथ, भारत उन विशिष्ट देशों में शामिल हो गया है जो चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकते हैं। इस समय इस क्लब में सिर्फ संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ही थे। भारत ने अब इस क्लब में प्रवेश कर लिया है।

चंद्रयान-3 मिशन की यात्रा शुरु से लेकर अंत तक की जानकारी (Chandrayaan-3 Mission Timeline):

घोषणा और तैयारी

6 जुलाई 2023: इसरो ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की तारीख को 14 जुलाई के रूप में घोषित किया।

7 जुलाई 2023: वाहन की विद्युत मूल्यांकन प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की गई।

11 जुलाई 2023: 24 घंटे की प्रक्षेपण प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

प्रक्षेपण और प्रारंभिक कक्षाएं

14 जुलाई 2023: चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान एलवीएम3/एम4 (MVM3/M4) वाहन के साथ निर्धारित कक्षा में पहुंचाया गया।

15 जुलाई 2023: पहली कक्षा को 41,762 किमी x 173 किमी तक ऊंचाई पर पहुंचाने का प्रयास किया गया।

17 जुलाई 2023: दूसरी कक्षा को 41,603 किमी x 226 किमी तक की ऊंचाई पर पहुंचाने का प्रयास किया गया।

22 जुलाई 2023: तीसरी कक्षा को 71,351 किमी x 233 किमी तक की ऊंचाई पर पहुंचाने का प्रयास किया गया।

25 जुलाई 2023: अतिरिक्त कक्षा पर पहुंचने के लिए अतिरिक्त प्रयास किया गया।

चंद्र की कक्षा में प्रवेश

1 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 को 288 किमी x 369,328 किमी की ट्रांसलूनर कक्षा में प्रवेश कराया गया।

5 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 को 164 किमी x 18,074 किमी की कक्षा में प्रवेश कराया गया।

ऑरबिट अड्जेस्टमेंट:

6 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 की कक्षा को 170 किमी x 4,313 किमी पर समायोजित किया गया।

9 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 की कक्षा को 174 किमी x 1,437 किमी पर समायोजित रखने के लिए चंद्रयान की प्रक्षेपण प्रणाली को समायोजित किया गया।

14 अगस्त 2023: चंद्रयान की कक्षा को 150 किमी x 177 किमी पर समायोजित किया गया।

20 अगस्त 2023: चंद्रयान की कक्षा को 134 किमी x 25 किमी पर समायोजित किया गया, जो सबसे निकटवर्ती चंद्र बिंदु का प्रतिनिधित्व करता है।

अंतिम चंद्र कक्षा और लैंडिंग की तैयारी

17 अगस्त 2023: लैंडिंग मॉड्यूल (विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर) को प्राणोदन प्रणाली से अलग कर दिया गया।

18 अगस्त 2023: “डीबूस्टिंग” आपरेशन से लैंडिंग मॉड्यूल की कक्षा को 113 किमी x 157 किमी पर कम कर दिया गया।

20 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 की कक्षा को 134 किमी x 25 किमी पर समायोजित किया गया।

टचडाउन स्टेप:

23 अगस्त 2023: शाम 5:47 बजे IST पर चंद्रयान-3 ने मून पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। सॉफ्ट लैंडिंग 6:04 बजे IST पर हुई।

यह सफलता भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी में क्षमता का प्रदर्शन करती है, और इसरो के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की प्रतिबद्धता और मेहनत की प्रशंसा करती है।

चंद्रयान-3 को चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड कराकर, भारत ने जटिल चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को साबित किया है और दुनिया में अपनी महत्वपूर्ण स्थानीयता बनाई है।

लेखक: करन शर्मा