ISRO ने किया भारत का पहला एनालॉग अंतरिक्ष मिशन लॉन्च, जानिए क्या है इसकी खासियत

Published
ISRO ने किया भारत का पहला एनालॉग अंतरिक्ष मिशन लॉन्च

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को अपने पहले एनालॉग अंतरिक्ष मिशन के प्रक्षेपण की घोषणा की. इसरो के अनुसार मिशन का उद्देश्य अंतरिक्षीय परिस्थितियों की चुनौतियों का अध्ययन करना है, जिससे भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में मदद मिलेगी. इस मिशन में एक कॉम्पैक्ट, इन्फ्लेटेबल हैबिटेट शामिल है, जिसका नाम हैब-1 है, यह अंतरग्रहीय हैबिटेट में जीवन का अनुकरण करेगा.यह मिशन लद्दाख के लेह में आयोजित किया जा रहा है.

बता दें कि भारत कई अंतरिक्ष मिशन शुरू करने की योजना बना रहा है, लेकिन भारत का यह नया मिशन भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से परे मिशनों में आने वाली चुनौतियों को समझने में मदद करेगा.

ISRO ने एक्स पर पोस्ट कर दी मिशन की जानकारी

ISRO ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारत का पहला एनालॉग अंतरिक्ष मिशन लेह से शुरू हुआ, यह मिशन पृथ्वी से परे बेस स्टेशन की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरग्रहीय आवास में जीवन का अनुकरण करेगा.

ये भी पढ़ें: मजबूत रिश्तों के बीच भारतीय कंपनियों पर बैन लगा रहा है America, जानें क्या है कारण

हब-1 हाइड्रोपोनिक्स फार्म, रसोई और स्वच्छता सुविधाओं जैसी आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित है. यह एक आत्मनिर्भर वातावरण प्रदान करता है, जो मूल्यवान डेटा प्रदान करता है क्योंकि भारत चंद्रमा, मंगल और उससे आगे के लिए लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों की योजना बना रहा है.

इसलिए मिशन के लिए चुना गया लद्दाख

इसरो ने अपने पोस्ट में बताया कि यह मिशन मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, इसरो, AAKA स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय, आईआईटी बॉम्बे का एक संयुक्त प्रयास है, तथा इसे लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद का समर्थन प्राप्त है. इस मिशन के लिए लद्दाख को इसलिए चुना गया क्योंकि इसकी भूगर्भीय विशेषताएं मंगल और चंद्र परिदृश्यों से काफी मिलती जुलती हैं. इसकी ठंडी, शुष्क परिस्थितियां और उच्च ऊंचाई, लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों के लिए आवश्यक तकनीक और रणनीतियों के परीक्षण के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करेगी.

तकनीकों को समझने में मिलेगी मदद

मिशन के दौरान, वैज्ञानिक नई तकनीकों, रोबोटिक उपकरणों, वाहनों, आवासों और संचार का परीक्षण करेंगे. वे एनालॉग मिशन के दौरान बिजली उत्पादन, गतिशीलता, बुनियादी ढांचे और भंडारण को भी समझने की कोशिश करेंगे. पोस्ट में बताया गया कि हैब-1 मानव स्वास्थ्य और प्रदर्शन पर अलगाव और कारावास के प्रभावों का भी अध्ययन करेगा. जिससे  इसरो को नियोजित मानव-रोबोट रिसर्च कार्यों की ताकत, सीमाओं और वैधता को समझने में मदद मिल सकती है.

क्या है भारत का अंतरिक्ष विजन 2047

राजनगर डिविजनल वन अधिकारी सुदर्शन गोपीनाथ ने कहा, यह एनालॉग मिशन अन्य ग्रहों पर जीवन की जटिलताओं को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने कहा कि इससे प्राप्त जानकारी भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगी.

देश के अंतरिक्ष विजन 2047 में 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय को उतारना शामिल है.