देश से छुआछूत के भाव को समाप्त करना आवश्यक: डॉ. मोहन भागवत

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अलवर/राजस्थान: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने अलवर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए समाज में छुआछूत और ऊंच-नीच के भाव को समाप्त करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज में समानता और समरसता को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने बताया कि संघ का कार्य जहां प्रभावी है, वहां सभी के लिए मंदिर, पानी और श्मशान खुले होते हैं। समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए समाज का मन बदलना जरूरी है।

डॉ. भागवत ने स्वयंसेवकों को पांच प्रमुख विषयों – सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व-भावना, और नागरिक अनुशासन – को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया। उनका मानना है कि जब स्वयंसेवक इन सिद्धांतों का पालन करेंगे, तो समाज भी उनका अनुसरण करेगा।

RSS की 100वीं वर्षगांठ और हिंदू राष्ट्र की विचारधारा

डॉ. भागवत ने उल्लेख किया कि अगले वर्ष RSS अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाएगा। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज इस देश का उत्तरदायी समाज है, और इस राष्ट्र की उन्नति या अवनति हिंदू समाज की कीर्ति से जुड़ी है। उन्होंने हिंदू धर्म को मानव धर्म बताते हुए कहा कि यह विश्व के कल्याण के लिए है, और हिंदू समाज सद्भावना, ज्ञान, दान और सेवा का प्रतीक है।

पर्यावरण संरक्षण और परिवार के संस्कारों का पर दिया जोर

पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि हमें छोटी-छोटी पहल से शुरुआत करनी चाहिए, जैसे पानी बचाना, प्लास्टिक का उपयोग कम करना, पेड़ लगाना और अपने घरों को हरित बनाना। उन्होंने पारिवारिक संस्कारों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर भजन-पूजन करें और घर में बने भोजन का आनंद लें।

स्वदेशी उत्पादों और मितव्ययिता का पालन करें

डॉ. भागवत ने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने की अपील की और कहा कि हमें विदेशों से वस्तुएं केवल अपनी शर्तों पर ही खरीदनी चाहिए। उन्होंने मितव्ययिता (कम खर्च करना) और समाज सेवा को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान रहा

बता दें कि वैसे तो उनके पूरे संबोधन में मोहन भागवत का संदेश सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण और पारिवारिक संस्कारों के माध्यम से राष्ट्र का सर्वांगीण विकास रहा। लेकिन अंत में उन्होंने अपने भाषण में मातृ स्मृति वन में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर वन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव, राज्य के वन मंत्री संजय शर्मा और अन्य उच्च अधिकारी भी उपस्थित रहे।