Jagannath Rath Yatra 2024: प्रभु जगन्नाथ के मंदिर में आखिर क्यों होती है अधूरी प्रतिमा की पूजा, जानें इसके रोचक रहस्य के बारे में

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Jagannath Rath Yatra 2024: उड़ीसा राज्य के पुरी में भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। हर साल आषाढ़ मास में मंदिर से भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इस रथयात्रा में दुनियाभर के लाखों लोग शामिल होते हैं। जगन्नाथ मंदिर में स्थापित भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा से जुड़ी एक आश्चर्य जनक बात ये है कि यहां उनकी अधूरी यानी अपूर्ण उड़ीसा राज्य के प्रतिमा की पूजा होती है। सुनने में ये बात अजीब जरूर लगे, लेकिन ये सच है।

राजा इंद्रद्युम्न थे भगवान जगन्नाथ के परम भक्त

एक समय उड़ीसा के पुरी में राजा इंद्रद्युम्न का शासन था। वे भगवान जगन्नाथ के परम भक्त थे। एक दिन जब राजा इंद्रद्युम्न भगवान की पूजा कर रहे थे तभी आकाशवाणी हुई कि भगवान जगन्नाथ मूर्ति के रूप में धरती पर प्रकट होंगे। इस घटना के कुछ दिनों बाद जब राजा समुद्र तट पर घूम रहे थे, तभी उन्हें लकड़ी के दो विशाल टुकड़े तैरते हुए दिखे। राजा ने उन्हें बाहर निकलवाया। देव प्रेरणा से उन्होंने सोचा कि इन्हीं लकड़ियों से भगवान की मूर्तियां बनावाई जाए।

भगवन विश्वकर्मा ने कराया मूर्ति का निर्माण

भगवान की आज्ञा से देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा बढ़ई के रूप में राजा के पास आए और उन्होंने इन लकड़ियों से भगवान की मूर्ति बनाने के लिए आग्रह किया था , लेकिन उन्होंने ये शर्त रखी थी कि वे इन मूर्तियों का निर्माण एकांत और शांत जगह में करेंगे। और यदि उस स्थान पर कोई आ गया तो वे काम अधूरा छोड़कर चले जाएंगे। राजा ने उनकी बात मान ली और मूर्ति बनाने का काम शुरू किया।

इसी कारण से अधूरी है भगवन की प्रतिमा

विश्वकर्मा को जब भगवान की मूर्ति बनाते-बनाते काफी समय हो गया एक दिन राजा इंद्रद्युम्न उनसे मिलने पहुंच गए थे । राजा को आया देखकर शर्त के अनुसार, विश्वकर्मा मूर्तियों का काम अधूरा छोड़कर वहां से चले गए और इस तरह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की मूर्तियां अधूरी रह गईं। तभी आकाशवाणी हुई कि भगवान इसी रूप में स्थापित होना चाहते हैं। तब राजा इंद्रद्युम ने विशाल मंदिर बनवा कर तीनों देव प्रतिमाओं की स्थापना वहां कर दी।

लेखक – आयुष राज