पीएम मोदी की झारखंड रैली से पहले जयराम रमेश ने किए 3 बड़े सवाल

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Jairam Ramesh
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नई दिल्ली/डेस्क: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लोकसभा चुनावी प्रचार के बीच पीएम मोदी पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. जयराम रमेश ने पीएम मोदी से यह सवाल सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट के जरिए किए हैं.

आपको बता दें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी से यह कुछ सवाल तब किए जब पीएम मोदी आज झारखंड के चतरा में जनसभा को संबोधित करने जाने वाले थे. जय रामरमेश के सवाल कुछ इस प्रकार हैं-

  • ED अडानी और अंबानी के काले धन से भरे टेम्पो की जांच करने में क्यों विफल रही है?
  • चतरा-गया रेलवे लाइन का क्या हुआ?
  • भाजपा ने आदिवासियों के वन भूमि के अधिकार को क्यों कमज़ोर किया?

जयराम रमेश के ‘विवरण’

साथ ही साथ कांग्रेस नेता जय राम रमेश ने अपने इस पोस्ट में ‘जुमलों का विवरण’ भी लिखा है. वह कुछ इस प्रकार है-

  1. दो मौजूदा मुख्यमंत्रियों, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ED ने मनगढ़ंत मामलों में जेल में डाल दिया। इस बीच, प्रधानमंत्री ने तेलंगाना में अपने एक भाषण में खुलेआम कहा है कि अडानी और अंबानी के पास काला धन भरा हुआ है। ऐसे में ED कुम्भकरण की नींद क्यों सो रही है? प्रधानमंत्री के करीबियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जबकि जनता द्वारा चुने गए नेताओं को जेल में डाला जा रहा है?
  2. चतरा के लोग वर्षों से बेहतर रेल कनेक्टिविटी की मांग कर रहे हैं क्योंकि इससे स्थानीय लोगों की शिक्षा और रोजगार के अवसरों तक पहुंच में सुधार होगा। अक्टूबर 2022 में, रेल मंत्रालय ने चतरा-गया रेल परियोजना को मंजूरी दी लेकिन दो साल बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई है। चतरा-गया लाइन के लिए लोगों को और कितना इंतजार करना होगा? क्या प्रधानमंत्री इस आवश्यक परियोजना को पूरा करने के लिए कुछ कर रहे हैं?
  3. 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (FRA) पारित किया था, जिसके बाद से आदिवासियों का वर्षों का संघर्ष समाप्त हुआ था। इस कानून ने आदिवासियों और वन में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने ख़ुद के जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक रूप से लाभ उठाने का कानूनी अधिकार दिया था।

    नया अधिनियम 2006 के वन अधिकार अधिनियम को कमजोर करता है, जिससे विशाल क्षेत्रों में वन मंजूरी के लिए स्थानीय समुदायों की सहमति और अन्य वैधानिक आवश्यकताओं के प्रावधान समाप्त हो जाते हैं। साफ़ है, इसके पीछे का इरादा हमारे जंगलों को प्रधानमंत्री के कॉर्पोरेट मित्रों को सौंपना है। क्या पीएम मोदी कभी जल-जंगल-जमीन के नारे पर दिखावा करना बंद करेंगे और आदिवासी समुदाय की भलाई के सही अर्थों के काम करने की प्रतिबद्धता जताएंगे?

‘चुप्पी तोड़ो प्रधानमंत्री जी’

आपको बता दें, जयराम रमेश ने अपने पोस्ट के अंत में एक टैग का इस्तेमाल भी किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है ‘चुप्पी तोड़ो प्रधानमंत्री जी.’

लेखक- वेदिका प्रदीप