नई दिल्ली/डेस्क: नीतीश कुमार के एनडीए (NDA) में शामिल होने के बाद से विपक्षी दलों में नाराजगी है। विपक्ष के नेता उनके इस निर्णय से सहमत नहीं हैं। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने ही पटना में महागठबंधन की बैठक बुलाई थी, जिसमें वह भाग ले रहे थे। इसके बाद वह बेंगलुरु की बैठक में भी शामिल हुए थे। यह गलत है कि उन्होंने किसी संकेत के बिना महागठबंधन से नाता तोड़ने का निर्णय लिया।
जयराम रमेश ने कहा कि नीतीश कुमार ने आखिरी समय में हमारा हाथ छोड़ दिया है, जो कि विश्वासघात के समान है। बिहार के लोगों के द्वारा जल्द ही इसका जवाब दिया जाएगा। दरअसल, रविवार, 28 जनवरी को, नीतीश ने आरजेडी (RJD) का दामन छोड़, सीएम पद से इस्तीफा दे दिया, और फिर बीजेपी के सहयोग से बिहार में नई सरकार बना ली। इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों बाद, उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली।
गठबंधन टूटने का संकेत!
बिहार में नई सरकार बनने के बाद, विपक्षी दलों में गहमागहमी तेज है। कई बदलाव नजर आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा असर विपक्ष के महागठबंधन पर पड़ा है। बीजेपी भी लगातार महागठबंधन को घेरने में लगी है। पार्टी का दावा है कि जल्द ही महागठबंधन पूरी तरह से टूट जाएगा। महाराष्ट्र में भी महागठबंधन टूटने के संकेत मिल रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने भी खुद को गठबंधन से अलग कर लिया है और आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की है।
लेखक: करन शर्मा