Jhansi fire incident: उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (NICU) में शुक्रवार (15 नवंबर) रात भीषण आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई. इस घटना की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. घटना में घायल हुए 16 बच्चों को दूसरे वार्डों समेत प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
घटना कैसे और कब हुई?
झांसी के चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट (CMS) सचिन मोहर ने मीडिया को बताया कि यह आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में लगी थी. यह घटना रात लगभग 10:30 से 10:45 बजे के बीच हुई. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लगने के बाद कमरे में मौजूद ऑक्सीजन की अधिकता के कारण आग तेजी से फैल गई. एनआईसीयू वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे. स्टाफ ने कई बच्चों को बचाने की कोशिश की, लेकिन 10 बच्चों की जान नहीं बच सकी. वहीं, झांसी के जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का कारण माना जा रहा है.
चश्मदीदों ने क्या बताया?
भले ही, इस घटना की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही हो, लेकिन घटना स्थल पर मौजूद एक चश्मदीद ने आग लगने का आंखों देखा हाल बताया. हमीरपुर के रहने वाले भगवान दास उन लोगों में से हैं जिनके बेटे का बेटा, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में भर्ती था और उस समय भगवान दास वहीं पर मौजूद थे जब ये घटना घटी.
भगवान दास के मुताबिक, बच्चों के वार्ड में एक ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को लगाने के लिए नर्स ने जैसे ही माचिस की तीली जलाई. वैसे ही तीली जली पूरे वार्ड में आग लग गई. आग लगते ही भगवान दास ने अपने गले में पड़े कपड़े से 3 से 4 बच्चों को लपेटकर बचाया, बाकी लोगों की मदद से कुछ और बच्चों को भी बचाया गया.
घटनास्थल पर मौजूद एक अन्य चश्मदीद ने बताया कि आग लगने के बाद उन्होंने खिड़की की जाली तोड़कर नवजातों को बाहर निकाला. कई परिवारों को अपने बच्चों का पता नहीं चल पा रहा है. वहीं, कृपाल सिंह राजपूत, जो उस समय अस्पताल में मौजूद थे, उनका कहाना है कि, “मैं बच्चे को दूध पिलाने के लिए अंदर गया था, तभी एक नर्स भागती हुई आई और उसके पैर में आग लगी हुई थी. हमने लगभग 20 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला और अस्पताल प्रशासन को सौंपा.”
एक अन्य चश्मदीद ऋषभ यादव ने कहा, “आग लगते ही चारों ओर अफरातफरी मच गई थी. लोग अपने बच्चों को इमरजेंसी वार्ड की ओर लेकर भाग रहे थे. कुछ परिवारों को नहीं पता कि उनके बच्चे कहां हैं. प्रशासन को जल्द से जल्द इनकी जानकारी देनी चाहिए.”
सरकार और प्रशासन का क्या कहना है?
घटना की जानकारी मिलते ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर दुख जताया और मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये और गंभीर घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की. वहीं, झांसी पहुंचे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, “हम जांच कर रहे हैं कि यह घटना कैसे हुई. अगर किसी स्तर पर लापरवाही पाई गई, तो संबंधित लोगों पर सख्त कार्रवाई होगी. तीन स्तरों पर जांच की जाएगी- स्वास्थ्य विभाग, पुलिस प्रशासन और मजिस्ट्रेट द्वारा. रिपोर्ट आने के बाद ही घटना के असली कारण स्पष्ट होंगे.”
सवाल- फायर सेफ्टी ऑडिट में क्या हुआ?
लेकिन सवाल ये भी है कि जब सरकार के द्वारा फरवरी में हुए फायर सेफ्टी ऑडिट और जून की मॉक ड्रिल कराई गई थी, तो उस वक्त सब कुछ ठीक कैसे था, क्योंकि इस घटना के बाद एक खबर जो सामने आई है कि आग बुझाने वाले सिलेंडर 2020 में ही एक्सपार हो चुके हैं. यानि फायर एक्सटिंग्विशर को एक्सपायर हुए 4 साल हो चुके थे और खाली दिखाने के लिए ये सिलेंडर यहां रखे हुए थे. तो फिर फायर सेफ्टी ऑडिट में क्या किया गया? ये बड़ा सवाल है… ब्रजेश पाठक ने इसे लेकर जांच का आश्वासन दिया.
विपक्ष ने क्या कहा?
इस घटना पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें चुनाव प्रचार छोड़कर राज्य के स्वास्थ्य तंत्र पर ध्यान देना चाहिए. अखिलेश यादव ने मृतकों के परिजनों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की है.