Jharkhand assembly elections: 13 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक प्रक्रिया में डिक्रिमिनलाइजेशन को बढ़ावा देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को विशेष रूप से निर्देश दिया था कि वे किसी भी उम्मीदवार का चयन करते हुए अगर किसी Criminal Record वाले कैंडिडेट को टिकट देते हैं तो उसकी उम्मीदवारी के पीछे का कारण बताएं.
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से यह भी बताने को कहा था कि बिना क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले अन्य लोगों को उम्मीदवार के रूप में क्यों नहीं चुना जा सकता है. इन जरूरी दिशानिर्देशों के अनुसार, इस तरह के सेलेक्शन के कारणों में संबंधित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियां और योग्यता के संदर्भ में होना चाहिए. हालांकि इसके बावजूद राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की अनदेखी करने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं और लगातार क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को टिकट बांट रहे हैं.
28 से 100 प्रतिशत तक उम्मीदवारों का है Criminal Record
झारखंड इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने झारखंड विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में चुनाव लड़ रहे 683 उम्मीदवारों में से 682 के स्वयं दिए गए हलफनामों का विश्लेषण किया है जिसके बाद यह साफ हो गया है कि पहले चरण में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है और वे अभी भी Criminal Record वाले लगभग 26% उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है.
इस विश्लेषण में तोरपा (एसटी) निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे एक निर्दलीय उम्मीदवार ब्रजेंद्र हेमरोम को शामिल नहीं किया जा सका है, क्योंकि इस रिपोर्ट को लिखने के समय ईसीआई की वेबसाइट पर उनका साफ और पूर्ण हलफनामा उपलब्ध नहीं था. उल्लेखनीय है कि झारखंड चुनाव के पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले सभी प्रमुख दलों ने 28% से लेकर 100% ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं जिन्होंने अपने विरुद्ध आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
Criminal Record वाले उम्मीदवार
विश्लेषण किए गए 682 उम्मीदवारों में से 174 (26%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, वहीं 127 (19%) ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं. पार्टीवार आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की बात करें तो भाजपा से विश्लेषण किए गए 36 उम्मीदवारों में से 20 (56%), कांग्रेस से विश्लेषण किए गए 17 उम्मीदवारों में से 11 (65%), झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) से विश्लेषण किए गए 23 उम्मीदवारों में से 11 (48%), बीएसपी से विश्लेषण किए गए 29 उम्मीदवारों में से 8 (28%), आरजेडी से विश्लेषण किए गए 5 उम्मीदवारों में से 3 (60%) और जेडी(यू) से विश्लेषण किए गए 2 उम्मीदवारों में से 2 (100%) ने अपने हलफनामों में अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
गंभीर आपराधिक मामलों वाले पार्टीवार उम्मीदवार: प्रमुख दलों में, भाजपा के 36 उम्मीदवारों में से 15 (42%), कांग्रेस के 17 उम्मीदवारों में से 8 (47%), झामुमो के 23 उम्मीदवारों में से 7 (30%), बसपा के 29 उम्मीदवारों में से 6 (21%), राजद के 5 उम्मीदवारों में से 3 (60%) और जदयू के 2 उम्मीदवारों में से 2 (100%) ने अपने हलफनामों में अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
जेडीयू के 100 तो कांग्रेस के 65 प्रतिशत कैंडिडेट दागी
पार्टीवाइज उम्मीदवारों में क्रिमिनल रिकॉर्ड की बात करें तो जेडीयू के 100 प्रतिशत उम्मीदवारों ने न सिर्फ क्रमिनल बल्कि गंभीर आपराधिक मामलों वाले केस होने का हलफनामा दायर किया है. वहीं कांग्रेस में 65 फीसदी उम्मीदवारों पर आपराधिक तो 47 प्रतिशत उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक केस दर्ज हैं. आरजेडी में भी आपराधिक और गंभीर आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की संख्या (60 प्रतिशत) बराबर है.
बीजेपी में आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार 56 प्रतिशत है तो गंभीर आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों की संख्या 42 प्रतिशत है. जेएमएम के लिए गंभीर आपराधिक मामले वाले उम्मीदवारों का आंकड़ा 30 प्रतिशत है तो सिर्फ आपराधिक मामलों की संख्या 48 प्रतिशत है. बीएसपी में सबसे कम आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार हैं, जहां पर गंभीर आपराधिक मामलों वाले 21 प्रतिशत कैंडिडेट हैं तो आपराधिक मामलों वाले 28 प्रतिशत उम्मीदवार हैं.
11 पर महिलाओं के खिलाफ तो 4 पर हत्या के केस
जहां11 उम्मीदवारों ने महिलाओं के विरुद्ध अपराध से संबंधित मामले घोषित किए हैं तो वहीं 4 उम्मीदवारों ने अपने विरुद्ध हत्या से संबंधित मामले (आईपीसी धारा-302) घोषित किए हैं. इतना ही नहीं 40 उम्मीदवारों ने अपने विरुद्ध हत्या के प्रयास (आईपीसी धारा 307 और बीएनएस धारा 109) से संबंधित मामले घोषित किए हैं.
43 निर्वाचन क्षेत्रों में से 29 (67%) रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र हैं. रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र वे हैं जहां 3 या अधिक चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों ने अपने विरुद्ध आपराधिक मामले घोषित किए हैं.
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2024 में हाल ही में हुए 2 राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान, यह देखा गया कि राजनीतिक दलों ने व्यक्ति की लोकप्रियता, अच्छा सामाजिक कार्यकर्ता है, मामले राजनीति से प्रेरित जैसे निराधार कारण दिए हैं जो कि क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले कैंडिडेट्स को मैदान में उतारने के लिए ठोस कारण नहीं हैं.
यह डेटा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि राजनीतिक दलों की चुनावी प्रणाली में सुधार करने में कोई दिलचस्पी नहीं है और जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई सख्त कदम नहीं उठाता तब तक हमारा लोकतंत्र कानून तोड़ने वालों के कानून निर्माता बनने के कारण पीड़ित होता रहेगा.